नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के उपप्रमुख एयर मार्शल नरमदेश्वर तिवारी ने खुलासा किया है कि भारत द्वारा मई 2025 में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में 50 से भी कम एयर-लॉन्च हथियारों का इस्तेमाल किया गया था, जिससे पाकिस्तान को बातचीत के लिए मजबूर होना पड़ा। एयरफोर्स की यह सटीक और सीमित कार्रवाई पाकिस्तान के वायु ठिकानों, रडार स्टेशनों और कमांड संरचनाओं पर केंद्रित थी।
तिवारी ने कहा, "यह एक ऐसा उदाहरण है जो वायुशक्ति के प्रभाव को दर्शाता है। इतने कम संसाधनों से इतना बड़ा रणनीतिक परिणाम – यह अध्ययन का विषय होना चाहिए।" उन्होंने बताया कि मिराज-2000, राफेल और सुखोई-30MKI जैसे विमान इस ऑपरेशन में शामिल थे, जिन्होंने ब्रह्मोस, स्कैल्प और रैम्पेज मिसाइलों से निशाना साधा।
उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि ड्रोन की तुलना में आज भी मानवयुक्त लड़ाकू विमान कूटनीतिक दबाव बनाने में अधिक प्रभावी हैं।
CDS जनरल चौहान की चेतावनी: युद्ध जारी है, 24x7 तैयार रहना होगा
इसी कार्यक्रम में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है, और भारत को 365 दिन, 24 घंटे उच्च सैन्य तैयारी बनाए रखनी होगी। उन्होंने "विद्वान योद्धा, सूचना योद्धा और तकनीकी योद्धा" जैसी अवधारणाएं प्रस्तुत करते हुए कहा कि आधुनिक सेना को शस्त्र और शास्त्र दोनों में दक्ष होना चाहिए।
उन्होंने चेतावनी दी, "युद्ध में कोई उपविजेता नहीं होता। सिर्फ सतर्क और सजग सेना ही राष्ट्र की संप्रभुता की रक्षा कर सकती है।"
भारत ने खींच दी नई रेड लाइन
अन्य रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान के लिए एक नई रेड लाइन खींच दी है – अब भारत परमाणु धमकियों से डरने वाला नहीं है और भविष्य में भी आतंकी हमलों का सीधा जवाब दिया जाएगा।
इस ऑपरेशन ने साबित कर दिया है कि भारत की वायुशक्ति केवल सामरिक रूप से सक्षम नहीं, बल्कि विरोधी की रणनीति बदलने में भी समर्थ है। यह अभियान भारत की बदलती राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और आक्रामक रक्षा दृष्टिकोण का परिचायक है।