नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को 23 साल से फरार चल रही एक बड़ी आरोपी को पकड़ने में बड़ी सफलता मिली है। मोनिका कपूर, जो 2002 के एक बहुचर्चित इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट धोखाधड़ी मामले की मुख्य आरोपी है, को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया और अब उसे भारत लाया जा रहा है। यह प्रत्यर्पण प्रक्रिया 9 जुलाई 2025 को पूरी की गई।
कौन है मोनिका कपूर?
मोनिका कपूर, Monika Overseas नामक एक्सपोर्ट कंपनी की प्रोपराइटर थी। उस पर आरोप है कि उसने अपने दो भाइयों — राजन खन्ना और राजीव खन्ना — के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए और 6 रिप्लेनिशमेंट लाइसेंस हासिल किए। इन दस्तावेजों में नकली शिपिंग बिल्स, इनवॉयस और बैंक सर्टिफिकेट शामिल थे।
इन लाइसेंसों की मदद से trio ने 2.36 करोड़ रुपये का ड्यूटी-फ्री सोना मंगवाया और फिर इन्हें प्रीमियम पर अहमदाबाद की कंपनी Deep Exports को बेच दिया। इस धोखाधड़ी से सरकार को लगभग 1.44 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
2004 में हुई थी चार्जशीट, लेकिन मोनिका रही फरार
CBI की जांच के बाद 31 मार्च 2004 को मोनिका कपूर, राजन खन्ना और राजीव खन्ना के खिलाफ IPC की धाराओं 120-B, 420, 467, 468 और 471 के तहत चार्जशीट दाखिल की गई। दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 20 दिसंबर 2017 को राजन और राजीव को दोषी करार दिया।
हालांकि, मोनिका कपूर लंबे समय तक जांच और अदालत की प्रक्रिया से बचती रही। उसे कोर्ट ने 13 फरवरी 2006 को Proclaimed Offender घोषित किया था और 2010 में उसके खिलाफ Red Corner Notice जारी किया गया।
2010 में भेजी गई थी प्रत्यर्पण की अर्जी
CBI ने मोनिका कपूर के खिलाफ 2010 में अमेरिका को Extradition Request भेजी थी। लगभग 15 वर्षों की लंबी कानूनी प्रक्रिया और अमेरिकी एजेंसियों से समन्वय के बाद अब जाकर CBI उसे भारत लाने में सफल रही है।
CBI की एक विशेष टीम अमेरिका गई और उसे अपनी कस्टडी में लेकर भारत लौटी। अब मोनिका कपूर को भारत में अदालत के सामने पेश किया जाएगा, जहां वह अपने खिलाफ लगे गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना करेगी।