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आज भारत बंद: 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर, जानें क्या-क्या रहेगा बंद?

 Bharat Bandh : आज (9 जुलाई) देशभर में बैंकिंग, बीमा, कोयला खनन, राजमार्ग, निर्माण और कई अन्य क्षेत्रों में कार्यरत 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी आम हड़ताल पर रहेंगे. यह हड़ताल 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों और उनकी सहयोगी इकाइयों के मंच ने सरकार की मजदूर, किसान और राष्ट्र विरोधी नीतियों के विरोध में बुलाई है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार में आरजेडी, कांग्रेस और अन्य महागठबंधन विपक्षी दलों ने बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन (SIR) के विरोध में बंद करने का ऐलान किया है.


कोलकाता में भारत बंद का असर, हेलमेट पहन कर चला रहे बस

कोलकाता में भी भारत बंद का असर दिख रहा है. जादवपुर 8बी बस स्टैंड के पास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. बस चालक सुरक्षा के लिए हेलमेट पहन कर बस चला रहे हैं. कोलकाता में भारत बंद के बावजूद जादवपुर में निजी और सरकारी बसें चल रही हैं, इसीलिए अपनी सुरक्षा के लिए बस चालक हेलमेट लगा कर बस चला रहे हैं.

भारत बंद का बिहार में असर, ट्रेनें रोकीं-टायर जलाए, राहुल गांधी भी जा रहे पटना
भारत बंद का बिहार में असर दिख रहा है. ट्रेनें रोकी जा रही हैं. इसी के साथ ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही है जहां लोग टायर जला रहे हैं. इसी बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पटना के लिए रवाना हो गए हैं.

क्या खुले और क्या रहेंगे बंद?

इस भारत बंद के दौरान स्कूल, कॉलेज और निजी दफ्तर सामान्य रूप से खुले रहने की संभावना है, लेकिन बैंक, परिवहन और डाक सेवाओं में व्यवधान आने से आम जनजीवन प्रभावित हो सकता है। आज यात्रा करने से पहले अपने रूट की स्थिति की जानकारी अवश्य लें। बैंकिंग से जुड़े काम आज टाल दें। बिजली और पानी की आपूर्ति में रुकावट की स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था रखें।

बिजली क्षेत्र से जुड़े 27 लाख से अधिक कर्मचारी भी हड़ताल

बिजली क्षेत्र से जुड़े 27 लाख से अधिक कर्मचारी भी हड़ताल में भाग ले रहे हैं, जिससे कई राज्यों में बिजली आपूर्ति बाधित होने की आशंका है। वहीं, रेलवे यूनियनों ने औपचारिक रूप से हड़ताल में शामिल होने की घोषणा नहीं की है, लेकिन हड़ताल का अप्रत्यक्ष असर ट्रेन सेवाओं पर पड़ सकता है। कुछ रूटों पर ट्रेनों में देरी या प्लेटफॉर्म पर भीड़ जैसी समस्याएं आ सकती हैं।

यूनियनों का क्या कहना है?

ट्रेड यूनियनों का आरोप है कि केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण, संविदा नौकरियों के विस्तार, बेरोजगारी और श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों के अधिकारों को कमजोर कर रही है। इस वजह से भारत बंद के माध्यम से सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाई जा रही है।

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