महासमुंद। शासकीय हाईस्कूल सोरिद में पदस्थ धरम सिंह महानंद वरिष्ठ व्याख्याता सामाजिक विज्ञान एवं (प्रभारी प्राचार्य हाई स्कूल सोरिद ) अपनी अर्धवार्षिकी पूर्ण कर 31 मार्च 2025 को सेवानिवृत हुए । वे 17 अगस्त 1982 से 31 मार्च 2025 तक सहायक शिक्षक, शिक्षक, संकुल समन्वयक, ए पी सी सर्व शिक्षा अभियान रहे। कुल मिलाकर 42 वर्ष 8 महीने और 15 दिन की सेवा पूर्ण करके सेवानिवृत हुए हैं।
धरम महानंद के सम्मान में आयोजित विदाई एवं सम्मान समारोह में समस्त स्टाफ हाई स्कूल सोरिद, समस्त स्टाफ पूर्व माध्यमिक शाला सोरिद, समस्त स्टाफ प्राथमिक शाला सोरिद, पूर्व प्रधान पाठक शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सोरिड श्रीमती सरिता तिवारी, प्रमोद तिवारी, शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण चंद्राकर, ग्राम पंचायत सोरिद के नवनिर्वाचित सरपंच जानकी प्रहलाद ध्रुव एवं गांव के गणमान्य नागरिक एवं पंच उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती के तैलचित्र पर दीप प्रज्वलित करके किया गया। सरस्वती वंदना और स्वागत गीत नवमी के ओजस्वी द्विवेदी और जागृति यादव ने प्रस्तुत किया ।
वक्ताओं ने यही कहा कि जितने समय हमें महानंद के साथ समय बिताने का अवसर प्राप्त हुआ है, वह समय हमारे लिए अनमोल है। कुछ ना कुछ हमें उनकी जीवनशैली से सीखने को मिला। संकुल समन्वयक रशीद कुरेशी ने तो यहां तक कह दिया कि मैं किसी भी परिस्थिति में यह नहीं भूल पाऊंगा कि मेरे पढ़ाई का सीखना एक तरफ है और आपके साथ बीते हुए पल का सीखना दूसरी तरफ है। जो अति महत्वपूर्ण है , प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला सोरिद के सोहनलाल साहू, प्राथमिक शाला सोरिद के प्रधान पाठक तारकेश्वरी मानिकपुरी, हाई स्कूल के व्याख्याता राम कुमार जांगड़े, पूजा श्रीवास्तव, नेहा संगतानी, श्रीमती मंजू दीवान, मनीषा नंदेश्वर, सहायक ग्रेड 2 चंदन कुमार सहायक ग्रेड 3 टेक राम देवांगन तथा समीर चौधरी, चेतन सहिस पूर्व माध्यमिक शाला की शिक्षिका एलवीना तारकेश्वर साहू प्राथमिक शाला ग्राम पंचायत की सरपंच जानकी पहलाद ध्रुव, प्रबंधन समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण चंद्राकर, यहां से स्थानांतरित हो चुके मुकेश ध्रुव विज्ञान सहायक और समस्त शाला परिवार के सभी सदस्यों ने अपने उदगार भावपूर्ण और भावुकता के साथ प्रकट किया। तत्पश्चात कार्यक्रम के मुख्य अतिथि धरम महानंद ने अपनी जीवन यात्रा को बताने का प्रयास करते हुए भावुक स्वरों में अपने माता-पिता के चरणों में प्रणाम अर्पित करते हुए समाज को यह बताने का प्रयास किया कि एक असक्षर मां से जन्म प्राप्त कर हम सात भाई बहनों ने उच्च शिखर को प्राप्त किया। आज मैं जो कुछ भी समाज को दे पाया, उन माता-पिता के चरणों का आशीर्वाद और मेरी पत्नी का सहयोग महत्वपूर्ण है। अपने पारिवारिक जीवन के साथ-साथ सामाजिक जीवन और शिक्षकीय जीवन में कभी भी परिवार की समस्या को घर में रखते हुए और कर्तव्य के प्रति सजग रहना ही सीखा। मुझे अपने गुरु जनों से यही प्रेरणा मिली थी। मेरी माता जी धार्मिक प्रवृत्ति की थी। उन्होंने बताया कि प्रथम शासकीय सेवा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को त्याग कर दूसरी सेवा पटवारी को त्याग कर यहां तक की पीएसी की परीक्षा भी उत्तीर्ण कर अंत में शिक्षिकीय जीवन को स्वीकार किया।
संचालन शासकीय हाई स्कूल सोरिद के प्रभारी प्राचार्य आचार्य सुखेंद्र द्विवेदी ने किया । इस अवसर पर गांव के गणमान्य नागरिक तथा परीक्षा पूर्ण हो जाने के बाद भी छात्र समूह बड़ी संख्या में उपस्थित थे।