नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहान-ए-खुसरो की झलकियां साझा की हैं. 28 फरवरी को नई दिल्ली के सुंदर नर्सरी में आयोजित इस सूफी संगीत समारोह में पीएम मोदी ने भारतीय सूफी संत परम्परा की खूबसूरती पर अपने शब्दों से चार चांद लगा दिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति और सभ्यता उसके गीतों और संगीत से समृद्ध होती है. सूफी परंपरा ने भारत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है.
पीएम मोदी ने कहा कि जहान-ए-खुसरो की भव्य प्रस्तुतियों ने प्रेम और भक्ति रस से सराबोर कर दिया. यहां सूफी संतों ने खुद को महज मस्जिदों या खानगाहों तक सीमित नहीं रखा. उन्होंने पवित्र कुरान के हर्फ पढ़े तो वेदों को भी सुना, उन्होंने अजान की सदा में भक्ति के गीतों की मिठास भी जोड़ी. जहान-ए-खुसरो ये सिलसिला अपने 25 साल पूरे कर रहा है.
इन 25 सालों में इस आयोजन का लोगों के जेहन में जगह बना लेना, ये अपने आप में इसकी सबसे बड़ी कामयाबी है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जहान-ए-खुसरो के इस आयोजन में एक अलग सी खूशबू है. ये खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी की है. वो हिंदुस्तान जिसकी तुलना हजरत अमीर खुसरो ने जन्नत से की थी. हमारा हिंदुस्तान जन्नत का वो बगीजा है, जहां तहजीब का हर रंग फला फुला है.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सूफी परंपरा ने न केवल इंसान की रुहानी दूरियों को खत्म किया है बल्कि दुनिया की दूरियों को भी कम किया है. पीएम मोदी ने कहा कि रुमी ने कहा था कि ‘शब्दों को ऊंचाई दें आवाजों को नहीं क्योंकि फूल बारिश में पैदा होते हैं तूफान में नहीं.’ भारत में सूफी परंपरा की एक अलग पहचान रही है. मुझे खुशी है कि जहान-ए-खुसरो आज उसी परंपरा की आधुनिक पहचान बन गया है.