पीपला फाउंडेशन कर रहा प्राचीन प्रतिमाओं पर शोध अध्ययन, मूर्तियों की जानकारी संग्रहित।
आरंग । छत्तीसगढ़ के प्राचीन नगरों में से एक आरंग में जगह-जगह श्रीगणेश की प्राचीन प्रतिमाएं स्थापित है। यहाँ गणेशोत्सव की ऐतिहासिक धूम हर साल होता है। राजधानी रायपुर की तरह ही आरंग में विशाल प्रतिमाओं की स्थापना, झांकी प्रदर्शन और भक्ति भाव से 11 दिनों तक गणेशोत्सव की धूम मची रहती है। प्राचीन काल से ही आरंग धार्मिक और मंदिरों की नगरी के नाम से प्रख्यात है। यहां के मंदिरों में जगह-जगह श्रीगणेश की स्थापित प्राचीन प्रतिमाएं वर्तमान में भी पूज्यनीय हैं। इन मूर्तियों की पुरातात्विक महत्व को प्रतिपादित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
वैदिक काल से गणपति की देव स्थापना
पूजा विधान प्राचीनकाल से विद्यमान
गाणपत्य पूजा का विधान अत्यंत प्राचीन काल से प्रचलित रहा है। जिसका प्रभाव भारतवर्ष के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी सभी जगह दिखाई देता है। गुप्तोत्तर काल में गणेश की प्रतिमाएं सम्पूर्ण भारतवर्ष में अंकित की जाने लगी थी। श्रीगणेश का अंकन शैव परिवारों में तथा नवग्रहों के साथ मंदिरों के सिरदल में बनाई जाने लगी। गणेश की प्रतिमा का निर्माण एकमुखी, द्विमुखी तथा पंचमुखी रूप में भी निर्मित किया गया है तथा प्रतिमा शास्त्रों में भुजाओं को द्विभुजी से षोडसभुजी तक निर्मित किये जाने का विधान बताया गया है। छत्तीसगढ़ में गणेश की प्रतिमाएं आसनस्थ, स्थानक, नृत्यरत, दम्पत्ति (सपत्निक) एवं अन्य देवी-देवताओं के साथ प्राप्त होती है। छत्तीसगढ़ में पांचवी शताब्दी ईसवी से पंद्रहवी शताब्दी ईसवी तक गणेश प्रतिमा का निर्माण तथा गाणपत्य धर्म के विकास का अनवरत क्रम दिखाई देता है।छत्तीसगढ़ के अनेक कलचुरी कालीन अभिलेखों में गणेशजी की वंदना एवं मंदिर निर्माण से संबंधित जानकारी प्राप्त होती है।
पीपला फाउंडेशन का शोध अध्ययन
इन स्थानों पर है श्रीगणेश की प्राचीन प्रतिमाएं
आरंग नगर के सिद्ध शक्तिपीठ बाबा बागेश्वरनाथ मंदिर, बरमबावा मंदिर, नारायण बन हनुमान मंदिर, महामाया मंदिर, नकटी तालाब किनारे स्थित जागेश्वर महादेव मंदिर परिसर, भुनेश्वर महादेव मंदिर, समियामाता मंदिर, कंकाली मंदिर सहित नगर में अन्य मंदिरों में भी श्रीगणेश की प्राचीन प्रतिमाएं देखी जा सकती है। इससे प्रतीत होता है कि आरंग में सदियों से ही श्रीगणेश की पूजा - आराधना विशेष रूप से होती रही है। आज भी आरंग नगरवासी गणेशोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं।