Sushil Kumar Modi : बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री व पूर्व राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया है. 72 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली के AIIMS अस्पताल में आखिरी सांस ली. पिछले कुछ समय से वो कैंसर से जूझ रहे थे. बिहार की सियासत में सुशील मोदी एक अलग पहचान थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी जोड़ी काफी खास मानी जाती रही है. इस बीमारी के कारण वो पिछले कुछ समय से राजनीति से दूर भी थे. उन्होंने खुद कैंसर से संघर्ष करने की बात कही थी.
लोकसभा चुनाव के बीच सुशील कुमार मोदी का निधन बिहार बीजेपी के साथ-साथ राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए बड़ा धक्का है. पार्टी में उनकी सक्रियता काफी खास रही है. डिप्टी सीएम के अलावा राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं. तीन दशक के सार्वजनिक जीवन में राज्यसभा, लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा सहित सभी चार सदनों के सदस्य रह चुके थे.
सुशील मोदी का राजनीतिक करियर पटना विश्वविद्यालय में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ. वह 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव बने, लालू प्रसाद यादव जो बाद में उनके सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बने, उस समय विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष थे. सुशील कुमार मोदी 1974 में बिहार प्रदेश छात्र संघर्ष समिति के सदस्य बने. ये वही छात्र संघर्ष समिति थी जिसने जिसने 1974 के प्रसिद्ध बिहार छात्र आंदोलन का नेतृत्व किया.
1990 में सक्रिय राजनीति में रखा कदम
सुशील कुमार मोदी ने 1990 के आसपास सक्रिय राजनीति में कदम रखा. पटना सेंट्रल विधानसभा जो अब कुम्हार है, चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने. इसके बाद 1995 और 2000 में भी वो चुनाव लड़े और विधानसभा पहुंचे. सन 1996 से 2004 तक वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका में रहे.
2005 में बनाया गया था बिहार का डिप्टी सीएम
2005 के बिहार चुनाव में जब एनडीए सत्ता में आई तो सुशील कुमार मोदी को बिहार बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया. तब उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद संभाला जबकि नीतीश कुमार मुख्यमंत्री थे. 2010 में बिहार चुनाव में एनडीए की जीत के बाद सुशील मोदी डिप्टी सीएम पद पर बने रहे. 2017 में बिहार में जेडीयू-आरजेडी ग्रैंड अलायंस की सरकार के गिरने के पीछे भी सुशील कुमार मोदी की भूमिका मानी जाती है.