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 प्राकृतिक पर्यटन के संरक्षण व् विस्तार से जीडीपी में बढ़त तथा हिट वेव से बचाव




महासमुंद . जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरुप बदलते वातावरण मे तापमान वृद्धि और उसके साथ साथ तेजी से घटते जल स्तर के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त होते जा रहा है भावी भविष्य मे पर्यावरण के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है तेजी से घट रहे जंगलो के परिणामस्वरुप तापमान मे वृद्धि के कारण भीषण लू लहर का प्रकोप बड़ी तेजी से हमारी दिनचर्या मे निरंतर बाधा उत्पन्न कर रहा है, औद्योगिक विकास की दिशा मे बढ़ने के साथ साथ प्रकृति को संरक्षित कर पर्यावरण के विकास पर चिंतन करने की विशेष आवश्यकता है .

प्रकृति के निरंतर अंधाधुंध दोहन का दुष्परिणाम यह हो रहा है की हम जीवनदायिनी प्रकृति प्रदत्त अमूल्य सुविधाओं से वंचित होने लग रहे है, सरकार सहित जनसमुदाय को पर्यावरण के सुरक्षा और विकास को लेकर बड़े स्तर पर कार्य करने की जरुरत है, दशकों पूर्व भूकंप, बाढ़, महामारी, अल्प वृष्टि तथा खाद्यान आपूर्ति की अल्पउपलब्धता को आपदा के रूप मे परिभाषित कर स्वीकार किया जाता था तथा उपरोक्त समस्या के निबटान हेतु सकारात्मक प्रयास किया गया  I

औद्योगिक विकास के नाम पर देश मे तेजी से घट रहे जंगल क्षेत्र, नदियों से रेतो के उत्तखनन, पहाड़ो का कुरुपीकरण करने का जो होड़ लगा हुआ है उस पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा मे कार्य करने की आवश्कयता है I देश के उत्तर भारत और दक्षिण भारत के कई बड़े महानगरो मे जल संकट विकराल रूप ले लिया है जीवनोपयोगी पानी के अनुपलब्धता के कारण शहर उद्योग युक्त तो हो गए लेकिन जन जीवन रोबोटीक शैली में बदलने पर मजबूर होते जा रहा है I उद्योग आर्थिक विकास का पर्याय हो सकता है परन्तु जीवनदायिनी प्राकृतिक संपत्ति से बढ़कर नहीं प्राकृतिक संरक्षण की दिशा मे पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज को ही आगे आकर भागीदार और हिस्सेदार बनना चाहिए I वर्त्तमान में लू लहर मानव निर्मित व आमंत्रित किया गया आपदा है जिसका दुष्परिणाम प्रत्येक जीव पर बराबर पड़ रहा आपदा प्राकृतिक हो या कृत्रिम यह न तो भेदभाव करता है और न ही इसका बटवारा संभव है I भीषण गर्मी के प्रकोप से जन समुदाय को सुरक्षित रखने हेतु राष्ट्रीय स्तर की अनेक स्वयात्त संस्थाओ, तकनीकी विश्वविद्यालयों, आपदा प्रबंधनों के बड़े संस्थानों तथा भारत सरकार द्वारा अनेकानेक पहल किया जा रहा है जिनमे से ईश्फेयर इण्डिया अकेडमी के माध्यम से आल इण्डिया डिजास्टर मीटिंगेशन इंस्टिट्यूट, निडम, सी डी एच, वर्धमान मेडिकल कॉलेज के आपदा प्रबंधन के प्रशिक्षण कार्यक्रम मे शामिल होकर लू लहर से बचने के उपाय हेतु महासमुंद जिले के सामाजिक क्षेत्र मे कार्यरत डॉ. सुरेश शुक्ला द्वारा आह्वान करते हुए विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून से लेकर बारिश तक पौधे लगाकर उसको संरक्षित करने की दिशा में प्रयास किया जाने हेतु जनजागरूकता अभियान चलाया जाना तय किया गया है उपरोक्त अभियान के तहत लक्ष्य पूर्ति वन विभाग तथा जनसमुदाय महासमुंद से सहयोग लिए जाने का सुझाव दिया गया I

 पर्यावरण विकास को उद्योग का दर्जा देकर उपरोक्त विषय पर कार्य करने की अत्यंत आवश्यकता है जिसके अंतर्गत पर्यावरण विकास को पर्यटन के साथ जोड़कर प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा तथा विकसित औद्योगिक नीति तैयार किया जा सकता है, पर्यावरणीय विकास को पर्यटन से जोड़े जाने का देश की जीडीपी तथा जलवायु पर सकारात्मक परिणाम आयेंगे तथा अधिकाधिक रोजगार सृजन भी होगा I ग्लोबल ट्रेवल और टूरिजम इंडेक्स में जहाँ वर्ष 2021 में भारत 54 नंबर पर था वर्ष 2024 में 39 वी रैंकिंग पर आ गया है भारत में पर्यटन के क्षेत्र में अपार सम्भावनाये है पर्यटन को पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देते हुए और तेजी से विकसित करने की आवश्यकता है जिसके परिणाम वर्ष 2021 की तुलना में  2024 के GDP में वृद्धि हुआ है I

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