Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

Chaitra Navratri 2024: महानवमी के दिन आज इस तरह करें मां सिद्धिदात्री की पूजा, जानिए समय, पूज विधि और भोग-मंत्र

Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा होती है। मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना से सभी तरह की सिद्धियां प्राप्त होती है और लौकिक-परलौकिक सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति भी होती है।


मां का स्वरूप
मां सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत ही परम दिव्य है। मां का वाहन सिंह है और देवी कमल पर भी आसीन होती हैं। इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है। मां सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का भी स्वरूप माना गया है। मां को बैंगनीऔर लाल रंग अतिप्रिय होता है। मां सिद्धिदात्री की अनुकंपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ और इन्हें अर्द्धनारीश्वर कहा गया।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 1.24 बजे से शुरू हो जाएगी। यह अगले दिन 17 अप्रैल को दोपहर 3.14 बजे खत्म होगी। इस दिन राम नवमी भी मनाई जाएगी। नवमी के दिन भी बहुत से लोग अपना खत्म करते हैं। कुछ लोग अष्टमी के दिन भी व्रत तोड़ देते हैं। नवमी पर दोपहर 3.14 बजे के बाद नवरात्रि व्रत का पारण कर सकते हैं।

पूजा का महत्व
इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश, बल, कीर्ति और धन की प्राप्ति करते हैं। मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परमशांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाता है।

पूजा विधि
सिद्धि और मोक्ष देने वाली मां दुर्गा को सिद्धिदात्री कहा जाता है। इनके स्वरूप की बात करें तो देवी मां भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान हैं और चार भुजाओं से युक्त हैं।
मां सिद्धिदात्री हाथों में कमल, शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं. सिंह इनकी सवारी है।
मां सिद्धिदात्री समस्त संसार का कल्याण करती हैं. इसके लिए उन्हें जगत जननी भी कहते हैं।
नौवें दिन सिद्धिदात्री की पूजा करने के लिए नौ तरह का प्रसाद और नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के फल-फूल आदि अर्पित करना चाहिए। सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरूप हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना अन्य दिनों की तरह करें. लेकिन इस दिन परिवार के साथ हवन का भी विशेष महत्व है।
आज माता की पूजा करने के बाद सभी देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है।
स्थापित माता की तस्वीर या मूर्ति के आसापस गंगाजल से छिड़काव करें और फिर पूजा सामग्री अर्पित करके हवन करें।
हवन करते समय माता के साथ एक बार सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति भी दें। हवन के समय दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक के साथ मां की आहुति दें।
इसके साथ ही देवी के बीज मंत्र ‘ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:’ का 108 बार जाप करते हुए आहुति दें और फिर परिवार के साथ माता की आरती उतारें।
इसके बाद पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाएं और कन्या पूजन शुरू करें। मां सिद्धिदात्री को भोग में हलवा व चना चढ़ाने का विशेष महत्व है। इसके साथ ही पूड़ी, खीर, नारियल और मौसमी फल भी अर्पित कर सकते हैं।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.