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पुरातत्व में अभिलेखन और संरक्षण प्रविधियां पर राष्ट्रीय कार्यशाला में पहुंचे शोधार्थियों ने देखा आरंग का पुरा वैभव

 पीपला फाउंडेशन के सदस्यों ने किया प्रतिभागियों को श्रीपुर एक्सप्रेस पत्रिका की प्रतियां भेंट


आरंग । संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय रायपुर द्वारा आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के सातवें दिन गुरुवार को प्रतिभागियों ने आरंग स्थित भांड देउल जैन मंदिर का अवलोकन किया। मंदिर स्थापत्य और उसके अंगों की जानकारी प्राप्त की।

डॉ. शंभूनाथ यादव ने भांड देवल मंदिर के इतिहास और प्रभात कुमार सिंह ने मंदिर स्थापत्य और शिल्पांकन में प्रतीकात्मकता और उसके दार्शनिक पहलुओं के विषय में बतलाया। डॉ. राजीव मिंज ने मंदिर के भूविन्यास और उत्सेध विन्यास की जानकारी प्रदान की। वहीं नगर के सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन के सदस्यों ने पहुंचकर देश के विभिन्न राज्यों से पहुंचे कार्यशाला के सभी प्रतिभागियों को आरंग के इतिहास पर केंद्रित पत्रिका भेंट करते हुए आरंग के नामकरण तथा भांडदेवल के इतिहास पर इतिहासकारों से जानकारी लिए।

वहीं इतिहासकारों ने आरंग को काफी प्राचीन नगरी बताते हुए कहा आरंग में अनेक रहस्य अपने गर्भ में समेटे हुए है।यह प्राचीन काल से ही सभी धर्मों का केन्द्र रहा है। इतिहासकारों ने बताया मंदिर का सही नाम भांड देउल है।भांड का अर्थ भग्न तथा देउल का अर्थ मंदिर है।

लोग जानकारी नहीं होने के कारण मांडदेवल या भांडल देव कहते लिखते हैं।कार्यशाला के प्रतिभागियों ने महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर का भी अवलोकन किया और मूर्तिशिल्प सहित पुरावशेषों के प्रदर्शन और व्याख्या को समझा। संचालनालय के सभागार में समापन सत्र को संबोधित करते हुए उप संचालक डॉ. पी.सी. पारख ने सभी प्रतिभागियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी और उन्हें प्रमाण पत्र और स्मृति चिह्न प्रदान किया।

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