Chandrayaan-3 Big News : चंद्रयान-3 ने बड़ी कामयाबी हासिल कर ली है और अब 4 दिन बाद 23 अगस्त का इंतजार है। इस दिन चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग होगी। इसरो ने गुरुवार दोपहर चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग कर दिया। अब यह चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स की स्टडी करेगा।
लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान शामिल हैं जो अब एक ऐसी कक्षा में उतरने के लिए तैयार है जिससे यह चंद्रमा की सतह के और करीब आ जाएगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग अगले बुधवार को शाम 5.47 बजे निर्धारित है। वहीं आज शाम लैंडर मॉड्यूल के भारतीय समयानुसार शाम करीब चार बजे डीबूस्टिंग (गति कम करने की प्रक्रिया) से गुजरते हुए चंद्रमा की कक्षा में थोड़ा और नीचे आने की उम्मीद है।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए डीबूस्ट किया जाएगा। यानी उसकी गति को कम किया जाएगा। इसके बाद यहां से चंद्रमा की दूरी 30 किलोमीटर रह जाएगी। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग होगी। लैंडर को 30 किलोमीटर की हाइट से चंद्रमा की सतह पर लैंड कराने की प्रक्रिया काफी महत्वपूर्ण होगी।
लैंडर चंद्रमा की कक्षा में अपने स्वयं के कार्यों को तब तक अंजाम देता रहेगा, जब तक वह चंद्रमा की सतह पर नहीं पहुंच जाता और सॉफ्ट लैंडिंग नहीं कर लेता. इन दोनों के अलावा, चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, जो अब भी चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है, भारत की चंद्रमा पर उपस्थिति को बढ़ाता है. 2,379 किलोग्राम के कक्षीय द्रव्यमान और सौर किरणों के जरिए 1000 वॉट बिजली पैदा करने में सक्षम यह बॉक्स आकार का यान, भारतीय डीप स्पेस नेटवर्क और लैंडर के साथ संचार करता है.
इन तीन अंतरिक्ष यानों के साथ, भारत स्पेस एक्सप्लोरेशन में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है. विक्रम लैंडर की सफल लैंडिंग इसरो के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, जो चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और घूमने में एंड-टू-एंड क्षमता का प्रदर्शन करेगा, जिसे वह 4 साल पहले चंद्रयान -2 के साथ हासिल नहीं कर सका था. हालांकि, भारत चंद्रमा के आसपास अकेला नहीं है. चीन, अमेरिका और कोरिया के भी चंद्रमा के ऊपर मंडराने वाले एक्टिव मिशन हैं. जैसा कि दुनिया देख रही है, भारत का लूनर मिशन नई वैज्ञानिक खोजों और तकनीकी प्रगति को उजागर करने के लिए तैयार है.