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बिना बस्ता स्कूल पहुंचे बच्चे, बनाई राखी- मिला ईनाम

 पटेवा । सृजनात्मकता सभी बच्चों में अंतर्निहित होता ही है और उसे निखारने, संवारने के एक ही तरीका है उसके लिए अवसर की उपलब्धता। ऐसे अवसरों को बच्चे चूकते नहीं है और लग जाते हैं अपनी सृजनशीलता को निखारने में। ऐसे ही बिना बस्ता दिवस पर इस शनिवार प्राथमिक शाला सलिहाभांठा संकुल बनपचरी में बच्चों के द्वारा अनुपयोगी और आसपास की वस्तुओं से राखी बनाया गया।




 इसके लिए पूर्व दिवस ही बच्चों को कह दिया गया था कि इस शनिवार राखी बनाओ कार्यक्रम किया जाना है। इसके लिए बच्चे अपने घर से विभिन्न वेस्ट मटेरियल और स्कूल के आसपास से सामग्रियों को लेकर आए थे। बच्चों ने बोरा सुतली, धागा, फूल, पेड़-पौधे के पत्ते, चिप्स, बिसकिट्स आदि के रैपर, कागज इत्यादि से रंग-बिरंगी राखियां बनाये। बच्चों ने अपने घर से बिंदी, लिपस्टिक आदि सामग्रियों का भी उपयोग राखी बनाने में किया।

राखी बनाने में बच्चे बड़े ही तन्मयता के साथ जुड़े हुए थे और अपनी रचनात्मकता को साकार कर रहे थे। बच्चे आपस मे समूह में भी एक दूसरे को सलाह दे रहे थे, एक दूसरे को सुन रहे थे।  छोटे बच्चे भी जो स्वयं नहीं बना रहे थे लेकिन बड़े ध्यान से देख रहे थे और अपने दीदी-भैया की मदद अवश्य कर रहे थे। राखी बनाते हुए बच्चे बहुत खुश लग रहे थे।

 शिक्षक भी सभी के बीच जाकर उनके कार्यों को बारीकी से देखते और जिज्ञासा से प्रश्न भी पूछते जाते। अंत में सभी बच्चों को शाबाशी दी गई और सबसे रचनात्मक राखी बनाने वाले बच्चों को पुरस्कृत किया गया।

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