Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

बारनवापारा में सैलानियों के लिए नया आकर्षण म्यूजियम, लायब्रेरी और लग्जरी फैमली कॉटेज , बढ़ रही है पर्यटकों की संख्या

Document Thumbnail

 रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य के बलौदाबाजार जिले के वन्यजीव अभ्यारण्य बारनवापारा में सैलानियों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। इसको देखते हुए बारनवापारा में सैलानियों के लिए शासन-प्रशासन द्वारा कई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। बारनवापारा में म्यूजियम और लायब्रेरी स्थापना के साथ-साथ वहां लग्जरी फैमली कॉटेज का निर्माण कराया जा रहा है। बारनवापारा में सैलानियों के लिए मौजूद तीन पुराने कॉटेज को रेनोवेट कर वर्ल्ड क्लास फैमली कॉटेज का स्वरूप दिया जा रहा है। प्रत्येक कॉटेज में दो रुम, किचन, दो हेल्पर की रुकने की व्यवस्था है। दो कॉटेज बनकर तैयार हो गए है। तीसरे का निर्माण कार्य जारी है। 


यहां निर्मित म्यूजियम में बलौदाबाजार में मिलने वाले विभिन्न स्टोन, बारनवापारा में पाएं जाने वाले पशु-पक्षियों का जीवंत चित्रण एवं जानकारी उपलब्ध है, जो बच्चों एवं आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षक एवं ज्ञानवर्धक है। यहां मुख्य चौक में नये पर्यटक सुविधा केंद्र बनाया जा रहा है, जिससे आने वाले पर्यटकों को सभी जानकारियां मिल जाएगी। स्थानीय ग्रामीणों एवं पर्यटकों के लिए एक लायब्रेरी भी बनाई जा रही है। जहाँ पर सभी वर्ग एवं समूह के पाठकों के लिए पर्याप्त किताबे उपलब्ध होंगी। कलेक्टर श्री चंदन कुमार ने बारनवापारा का दौराकर वहां निर्माणाधीन कार्यों का जायजा लिया और निर्माणाधीन कार्यों को समय-सीमा में पूरा कराए जाने के निर्देश दिए। 


गौरतलब है कि बारनवापारा वन्यजीव अभ्यारण 245 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे वर्ष 1972 में वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया। बारनवापारा का नाम दो वन्य गांवों से मिलकर बना है-बार और नवापारा। वन्यजीव प्रेमियों और एडवेंचर के शौक़ीन लोगो के लिए यह सफारी बहुत ही मनोहारी है। यहाँ हिंसक जानवरों से लेकर मासूम खरगोश तक देखने को मिलते है। यहाँ विदेश से आने वाले पक्षियों का कुछ समय के लिए बसेरा भी रहता है। यहाँ आपको बहुत ऊँचे-ऊँचे पेड़ से लेकर दो नदियां बालमदेही और जोंक नदियों का कल-कल भी सुनाई देगा। यह अभ्यारण्य मैदानी और छोटे-बड़े पठारी इलाकों से मिलकर बना है। यहाँ सागौन के साथ अन्य वृक्ष जैसे साजा, बीजा, लेंडिया, हल्दू, सरई, धौंरा, आंवला, और अमलतास, कर्रा शामिल हैं। 


इस अभ्यारण में तेंदुएं, बाघ, गौर, भालू, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सुअर कोटरी चौसिंगा, जंगली कुत्ता, लकड़बग्गा, लोमड़ी इत्यादि भी आसानी से दिख जाते हैं। यहां कोबरा, करैत, अजगर जैसे सर्प प्रजातियां पाई जाती हैं। इस अभ्यारण में 150 से भी अधिक प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं, जिनमें प्रवासी पक्षी भी शामिल हैं। प्रमुख पक्षियों में मोर, दूधराज, तोते, गोल्डन, अरियल, ड्रेंगो, रॉबिन, पाई, कठफोड़वा, बुलबुल, हुदहुद, बाझ, उल्लू हैं।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.