रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज रायपुर सड्डू स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के शांति सरोवर परिसर में आयोजित नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत नशा मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के शुभारंभ समारोह में पहुंचे है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने एक बहुत महत्वपूर्ण जिम्मेदारी स्वीकार की है।
नशा किसी मामले में फायदेमंद नहीं न शरीर के लिए ना व्यक्तित्व के लिए इससे नुकसान ही होता है. शराबबंदी के लिए हमने एक कमेटी का गठन किया है जिसके अध्यक्ष माननीय सत्यनारायण शर्मा जी हैं जिन्होंने अन्य राज्यों में जाकर भी अध्ययन किया है. वही विधायक ने कहा कि मेरे घर के बगल में 3 लोग दारू पीकर मर गए। 5 राज्यों में शराबबंदी लेकिन फिर भी आसानी से मिल रही है। कानून से सामाजिक दोष ठीक नहीं कर सकते जागरूकता अभियान से नशा छुड़ाया जा सकता है। आगे कहा – छग का नशामुक्त होना बहुत जरूरी है। छोटे बच्चे सुलोशन और ड्रग्स के आदी बन रहे है। छत्तीसगढ़ में शराब बंदी होना जरूरी है।
भूपेश बघेल ने कहा कि लॉकडाउन में जब सब एक साथ घर में रहने लगे तो घरेलू हिंसा की शिकायत आने लगी. लंबे समय तक लॉकडाउन होने के बावजूद लोग नशा का जुगाड़ कर लेते थे. वनांचल में जाकर महुआ शराब जुगाड़ लेते थे, कई लोग गुड़ का शराब बना लेते थे. हरियाणा से तक यहां शराब आने लगी. कुछ नहीं मिला तो आदमी सेनिटाइजर पीने लगा. बिलासपुर में स्पिरिट पीके कई लोग मरे.
लॉकडाउन के समय पूरा देश बंद था, लेकिन फिर भी नशा करने वाले किए. जहरीली शराब पीकर कई लोगो की जान गई. मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं आदेश कर शराब दुकान बंद करवाऊं. कोई व्यक्ति यदि जहरीली शराब पीकर मर गया तो तो हम नहीं वापस ला सकते. इसलिए हमें नशा मुक्ति की ओर काम करना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के लिए महिलाएं दोनों हाथ उठाती थीं. लेकिन गुड़ाखु के लिए महिलाएं हाथ नहीं उठाती थी. कम खतरनाक नहीं है गुड़ाखू. नशा महिलाएं भी करती हैं. अभियान नशा मुक्ति का होना चाहिए. मानवता की सेवा, ईश्वर की भक्ति का नशा करना चाहिए. ये नशा इतना बड़ा है कि इसके सामने बचा सब नशा फीका पड़ जाता है.