Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

सहकारिता मंत्रालय देश के सहकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों के हितों की रक्षा करने के प्रति कटिबद्ध है

Document Thumbnail

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मागदर्शन में पिछले वर्ष जुलाई में गठित सहकारिता मंत्रालय देश के सहकारिता क्षेत्र से जुड़े लोगों के हितों की रक्षा करने के प्रति कटिबद्ध है। इसी कड़ी में सहकारिता मंत्रालय की याचिका पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में से सहारा समूह की 4 सहकारी समितियों के लगभग 10 करोड़ निवेशकों की जमाराशि को लौटाने का आदेश दिया।


सहारा समूह की चार समितियाँ-सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारायन यूनिवर्सल मल्‍टीपर्पज़ सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और स्टार्स मल्टीपर्पज़ कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, मार्च, 2010 से जनवरी, 2014 के बीच बहुराज्यीय सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अंतर्गत पंजीकृत की गई थीं। इन सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं को जमाराशि का भुगतान न होने के संबंध में देशभर से भारी संख्या में शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए समितियों को नोटिस जारी किए गए और केन्द्रीय पंजीयक के समक्ष सुनवाई की गई। सुनवाइयों के दौरान, केन्द्रीय पंजीयक ने समितियों को निवेशकों की देय राशि का भुगतान करने के निर्देश दिए व समितियों को नई जमाराशि लेने और मौजूदा जमाराशि का नवीनीकरण करने पर रोक लगा दी। सहकारिता मंत्रालय ने जमाकर्ताओं से प्राप्त लगभग 1.22 लाख दावों को डिजिटाइज्ड किया और इन समितियों को भुगतान के लिए भी भेजा, परंतु समितियों द्वारा अपेक्षित कार्यवाही नहीं की गई। उपरोक्त समितियों के जमाकर्ताओं से प्रतिदिन अपने निवेश के भुगतान के लिए भारी संख्या में आवेदन प्राप्त हो रहे हैं।

सहकारिता मंत्रालय ने इस विषय को प्राथमिकता पर लेते हुए, केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के निर्देशानुसार आर्थिक कार्य विभाग, राजस्व विभाग, सेबी, एसएफआईओ और ईडी आदि के साथ कई बैठकें कीं। मंत्रालय ने इस संबंध में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष स्थिति रिपोर्ट और मामले के हल के लिए याचिका दायर की। माननीय उच्चतम न्यायालय में यह अनुरोध किया गया कि सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में से 5,000 करोड़ रूपए को सहारा समूह की चारों सहकारी समितियों के जमाकर्ताओं को भुगतान के लिए प्रयोग किया जा सकता है। केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय के ये प्रयास मोदी सरकार की गरीबों और वंचितों के हितों की रक्षा के प्रति कटिबद्धता को दर्शाते हैं।

सहकारिता मंत्रालय की याचिका पर माननीय उच्चतम न्यायालय ने आज ये आदेश दिया कि सहारा-सेबी रिफंड अकाउंट में बची धनराशि में से 5000 करोड़ रूपए सहारा समूह की सहकारी समितियों के निवेशकों के रिफंड के लिए केंद्रीय पंजीयक को हस्तांतरित किए जाएंगे। केंद्रीय पंजीयक, उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त किए गए पूर्व न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी के पर्यवेक्षण व निगरानी में तथा गौरव अग्रवाल, अधिवक्ता की सहायता से भुगतान की प्रक्रिया को 9 महीनों में पूरा करेंगे। सहारा समितियों के वैध निवेशकों को यह भुगतान एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से उनकी उचित पहचान व जमाराशि का प्रमाण देने पर उनके बैंक खातों के माध्यम से किया जाएगा।

सहकारिता मंत्रालय शीघ्र ही माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिये गये आदेशानुसार पूर्व न्यायाधीश आर. सुभाष रेड्डी के पर्यवेक्षण में उचित पारदर्शी तंत्र के माध्यम से सहारा समूह की सहकारी समितियों के वैध निवेशकों के भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ करेगा जिससे करोड़ों निवेशकों व उनके परिवारों को राहत मिलेगी।

Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.