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आरक्षण विवाद : राजभवन सचिवालय पहुंचा हाईकोर्ट , मांगी अंतरिम राहत

बिलासपुर। आरक्षण विवाद में राज्यपाल सचिवालय को जारी नोटिस के खिलाफ राजभवन हाईकोर्ट पहुंच गया है। हाईकोर्ट सचिवालय ने अपने खिलाफ जारी नोटिस पर याचिका लगाकर जारी हुए नोटिस पर अंतरिम राहत प्रदान करने की मांग की है। सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।


राज्य सरकार ने प्रदेश में आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाकर 76 कर दिया है। 3 दिसंबर को विधानसभा से पास हुए आरक्षण संशोधन विधेयक को दस्तखत के लिए राजभवन भेजा गया था, पर राज्यपाल ने उस पर अब तक साइन नहीं किया है। बिल पर 10 सवाल राज्यपाल ने पूछे थे, जिसके जवाब सरकार ने दे दिए हैं उसके बाद भी बिल पर दस्तखत नहीं करने को लेकर बिलासपुर के युवा अधिवक्ता हिमांग सलूजा व राज्य शासन ने हाई कोर्ट में याचिका लगाकर राज्यपाल को दस्तखत करने के लिए निर्देशित करने की मांग की थी।

राज्य सरकार की ओर से देश के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा व अधिवक्ता हिमांग सलूजा की ओर से अधिवक्ता निर्मल शुक्ला व शैलेंद्र शुक्ला सुनवाई में पेश हुए थे। जिसमें अधिवक्ताओं ने तर्क देते हुए मांग की थी कि विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को राज्यपाल को तय समय में ही या तो दस्तखत कर देना चाहिए या फिर वापस लौटा देना चाहिए। पर राज्यपाल ने ऐसा नहीं किया है। बहस के दौरान बताया गया कि यदि विधेयक को राज्यपाल को साइन नहीं करना था तो उसे राष्ट्रपति के पास भेज देना था। पर राज्यपाल को भी राष्ट्रपति ने विधेयक को नहीं भेजा है। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्यपाल सचिवालय को नोटिस भेजकर 2 सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

राजभवन ने अपने खिलाफ जारी नोटिस पर अंतरिम राहत हेतु हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिका में राजभवन को पक्षकार बनाने व हाई कोर्ट के द्वारा नोटिस जारी करने को चुनौती दी गई थी। आज जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई। राजभवन की ओर से पूर्व अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल और सीबीआई व एनआईए के विशेष लोक अभियोजक बी गोपाकुमार प्रस्तुत हुए। वही राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा पेश हुए।

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