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सोहम अस्पताल में मिली बालक को नई जिंदगी, सर्पदंश से पीड़ित आठ वर्षीय बालक की प्राणरक्षा

महासमुन्द। सर्पदंश के उपरांत शरीर तथा मस्तिष्क पर पड़े प्रभाव के कारण कोमा की स्थिति  मे पहुंच रहे एक आठ वर्षीय बालक को सोहम हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सको ने पांच दिनों तक वेंटीलेटर पर रखने के उपरान्त बचा लेने का कीर्तिमान स्थापित किया है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार भारत में पाए जाने वाले सर्वाधिक जहरीले  सांपों मे से एक करैत के काटने से बच्चे का तंत्रिका तंत्र, रक्त प्रवाह, श्वसन क्रिया तथा हार्ट बीट बुरी तरह से प्रभावित हुई थी तथा उसका बच पाना कठिन प्रतीत हो रहा था।



परन्तु सोहम के विशेषज्ञ डॉक्टर ने रोगी को रायपुर रिफर करने के स्थान पर चुनौती को स्वीकार करते हुऐ तत्काल उसे जीवित रक्षाक  प्रणाली (वेंटीलेटर ) पर रख कर उसकी श्वसन क्रिया तथा हृदयगति को व्यवस्थित करके बालक का उपचार प्रारंभ किया एवम पांच दिनों तक निरंतर देखभाल तथा उपचार के उपरांत उसे मौत के मुंह से वापस लाने मे सफल रहे । पीड़ित बालक पूर्ण स्वस्थ है तथा उनके परिजन, जो मुंह से फैन उगलते बेहोशी स्थिति मे पहुंचे बच्चे के बचने के आशा  छोड़ चुके थे, सोहम के डाक्टरों का आभार व्यक्त करते नही थक रहे थे।

जानलेवा हो सकता है सर्प-दंश

सोहम हॉस्पिटल के संचालक डॉ युगल चंद्राकर ने बताया कि जहरीले सांप का काटना समय पर  उपचार न मिले पर जानलेवा हो सकता है। क्योंकि इसका प्रभाव या तो पीड़ित के तंत्रिका तंत्र को निष्क्रिय कर देता है अथवा खून को गाढ़ा कर देता है। जिससे दोनों ही स्थितियों मे रोगी की मौत हो जाती है। अस्तु सर्प दंश की जानकारी मिलते ही पीड़ित को बैगा गुनिया के चक्कर मे पड़ने की स्थान पर अविलंब हॉस्पिटल पहुंचाए, जहां उसे समय रहते उचित उपचार  मिल सके।

सर्पदंश पीड़ितों का सहारा बना सोहम

आधुनिक उपकरणों तथा  विशेषज्ञ डॉक्टरो और  कुशल नर्सिंग टीम के साथ  माड्यूलर अपरेशन थियेटर, आई. सी. यू. क्रिटिकल केयर, यू. एस. जी., ईको, सीटी स्कैन तथा डायलेसिस सुविधा से संपन्न सोहम हॉस्पिटल मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिट जिले मे निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा 100 विस्तर हॉस्पिटल है। जहां समुचित उपचार की व्यवस्था है।

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