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छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने की प्रकरणों की गंभीरतापूर्वक सुनवाई

गरियाबंद। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती अनीता रावटे द्वारा जिले में प्राप्त प्रकरणों की गंभीरता से सुनवाई किया गया। आज राज्य महिला आयोग के समक्ष कुल 27 प्रकरण पंजीबद्ध हुए थे, 5 प्रकरणों राज्य महिला आयोग कार्यालय के लिए प्रेषित किया गया एवं 8 प्रकरण सुनवाई के पश्चात नस्तीबद्ध कर दिया गया है। आज हुए सुनवाई के प्रकरणों में मानसिक प्रताड़ना, आर्थिक प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, मारपीट और संपत्ति विवाद से संबंधित प्रकरण शामिल थे। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक तथा सदस्य श्रीमती अनीता रावटे ने गंभीरतापूर्वक लोगों की समस्याएं सुनी और वस्तुस्थिति अनुसार प्रकरणों संतुष्टिपूर्ण निराकरण किया। अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्य डॉ अनीता रावटे ने आज मौके पर आवेदकों के प्रकरण का निराकरण कर आवेदक और अनावेदक दोनों को संतुष्ट किया। 




जनसुनवाई में उप पुलिस अधीक्षक सुश्री निशा सिन्हा, शासकीय अधिवक्ता सुश्री शमीम रहमान, अधिवक्ता डॉ अखिलेश भारद्वाज, जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पांडे सहित पुलिस प्रशासन भी मौजूद थे। सुनवाई के दौरान एक प्रकरण ग्राम परसदा के सरपंच एवं पंच के विरूद्ध उसी ग्राम के पंचायत सचिव आवेदिका का कहना है कि ग्राम पंचायत के सामान्य सभा की बैठक में अनावेदिका सरपंच ने आवेदिका पंचायत सचिव को धमकी दी थी। अनावेदिका का कथन है कि आवेदिका अपने जिम्मेदारी की पूर्ति नही कर रही थी। उसकी शिकायत पर जांच अधिकारी भी आये थे और उस बैठक के आवेदिका के खिलाफ निर्णय भी हुआ था। उसके बाद आवेदिका का स्थानांतरण दूसरे जगह कर दिया गया था। 

सरपंच और सचिव के बीच की सामान्य शिकायत होने के कारण इस प्रकरण को आयोग कार्यालय में स्थानांतरित किया गया है। जिसमें दोनो पक्षकार अपना अपना सबूत प्रस्तुत करेंगे जिससे इस प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि दोनो पक्षो की बीच सुलह हो जाने एवं पिछले 8 माह के एक साथ रह रहे है और आवेदिका आगे कोई कार्यवाही नहीं चाहती है इस प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदकगण ने मिलकर एक संस्था के आश्रम में कब्जा कर लिया है और उनके सभी सामान रखा है। 

आवेदिका के साथ जमीनदाता भी उपस्थिति हुए। उनके पास स्टाम्प पर कुछ दस्तावेज है। उन्होने बताया कि उनके आश्रम में लगे जमीन को उन्होने खरीदा था और आश्रम के नाम पर दान करना स्वीकार किया था लेकिन बाद में अनावेदक की नियत खराब हो गयी और अपने भांजे के नाम जमीन कराने वाला था तब अपनी जमीन को वापस करने की मांग किया तब अनावेदक के स्टाम्प के लिखकर मांगा था। अनावेदक का कहना है कि सम्पत्ति मूलतः अनावेदक की पैतृक सम्पत्ति है पैतृक लिए वह अनुमति लेकर सम्पत्ति की देखरेख करनेे आया है। वहां रखी सामग्री आपसी राजीनामा से देने तैयार है। आयोग द्वारा दोनो पक्षो को अपना अपना दस्तावेजो सूचीबद्ध कर आयोग कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिये गये।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका अनावेदक की पहली पत्नि है जिनका कानूनी रिति रिवाज से तलाक नही हुआ है अनावेदक पुरातत्व विभाग के केयर टेकर पर पर कार्यरत है जिसका मासिक वेतन 25 हजार रूपये मिलता है, और अपनी पत्नि को भरण-पोषण हिस्सा नही देता है। आज आयोग के समक्ष पत्नि बेटे को उनके हिस्से का जमीन, मकान देने को राजी हुआ। आयोग ने दोनो पक्षों को आयोग कार्यालय रायपुर मे उपस्थित होने कहा गया और आयोग से इस प्रकरण पर काउंसलर नियुक्त करेगा जिस पर इस प्रकरण का निराकरण हो सके।

सम्पत्ति विवाद के एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण संयुक्त सहमति के 6 बराबर के हिस्सेदार है और आवेदिका का सम्पत्ति के 6वां हिस्सा है दोनो पक्षो को समझाइश दिया गया कि अपनी सम्पत्ति का पूर्ण ब्यौरा लेकर आयोग कार्यालय मे उपस्थित हो ताकि 6वां हिस्सा आवेदिका के पुत्र के नाम करने के लिए अनावेदिकागण स्टाम्प पर विधिवत लिखा पढ़ी कराया जा सके। अनावेदक अनावेदक अपनी जिम्मेदारी पर लेकर आवेदिका की सहमति दी। सभी अनावेदकगणों के पूर्ण विवरण सूचीबद्ध कर अनावेदक ने आयोग को दिया जिस पर उस पते पर थाना प्रभारी के माध्यम से अनावेदिकागणों को आवश्यक रूप से उपस्थित कराया जा सके जिससे इस प्रकरण पर समझौता कार्यवाही किया जा सके।

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