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अपनी क्षमता का विकास कर, रोजगार लेने वाले से इतर रोजगार देने वाले बनें : राज्यपाल सुश्री उइके

रायपुर। आज राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके नवा रायपुर स्थित निजी संस्थान में आयोजित आई.सी.एफ.ए.आई. विश्वविद्यालय, रायपुर के प्रथम दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। इस अवसर राज्यपाल सुश्री उइके ने विश्वविद्यालय के 23 स्वर्ण एवं 19 रजत पदक सहित 105 विद्यार्थियों को उपाधि वितरण की एवं उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। साथ ही उन्होंने इस उपलब्धि के लिए सभी अभिभावकों तथा  संस्थान के शिक्षकों को भी बधाई दीं। इस अवसर पर राज्यपाल ने विद्यार्थियों से सिर्फ रोजगार की चाह न रखकर ,रोजगार दाता बनकर देश के मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़ने की सलाह दी। 


साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों से अनुसंधान से जुड़कर देश के विकास की संभावनाओं को तलाशने को भी कहा। इसके अलावा राज्यपाल ने सभा को संबोधित करते हुए सभी शिक्षा संस्थानों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुुरूप बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करने को भी कहा। राज्यपाल ने समारोह में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह दीक्षांत विद्यार्थियों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। शिक्षा ग्रहण करने की यात्रा हमारे अस्थायी कदमों के साथ आरंभ होकर हमें जीवन की ऊंचाईयों तक ले जाती है। उन्हांेेने कहा कि दीक्षांत आपकी दीक्षा का अंत नहीं है। बल्कि यह आपके जीवन की यात्रा का एक हिस्सा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आप सभी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर अच्छे इंसान बनें। अच्छा इंसान ही अच्छे समाज का निर्माता होता है।

राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि काम के प्रति आपकी ईमानदारी ही आपके भविष्य का निर्माण करेगी। आज देश के विद्यार्थियों को अपनी सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है। शिक्षा के द्वारा अपने ज्ञान को बढ़ाएं। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा न केवल हमारी क्षमता का निर्माण करती हैं बल्कि उसका निरंतर विकास भी करती है। पढ़ाई के बाद रोजगार के पीछे न भागे बल्कि अपनी क्षमता का विकास कर लोगों को रोजगार दें। सफल उद्यमी बनकर, रोजगार देने वाले बनें। अपने साथ-साथ कम कुशल और अन्य युवाओं को भी रोजगार देने वाला बनने का प्रयास करना चाहिए।



इसके लिए भारत सरकार की मेक इन इण्डिया, स्टार्टअप योजना एवं मुद्रा योजना जैसी अन्य योजनाओं का लाभ उठाकर भारतीय मैन्यूफैक्चिरिंग क्षेत्र को मजबूत करने संबंधित कार्यक्रमों को गति प्रदान करें।उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन किया गया है। यह शिक्षा नीति से भारत में अदभुत प्रगति होगी, जिससे हमारे छात्र कुशल एवं आदर्श नागरिक बनकर विश्वविद्यालयों से निकलेगें। उन्होंने कहा कि हमारे देश में भिन्न-भिन्न भौगोलिक क्षेत्र में भाषाई भिन्नता पाई जाती है। 

नई शिक्षा नीति में प्रारंभिक शिक्षा मातृ भाषा में देने का प्रावधान है। साथ ही अब मेडिकल एवं तकनीकी शिक्षा भी राजभाषा हिंदी में हो सकेगी। राज्यपाल सुश्री उइके ने देश में अनुसंधान के अहमियत को देखते हुए कहा कि उच्च शिक्षा के बाद अनुसंधान क्षेत्र से जुड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या कम है। देश के विकास के लिए विद्यार्थियों को अनुसंधान क्षेत्र से जुड़ना बेहद आवश्यक है। विद्यार्थियों को योग्य शिक्षक के मार्गदर्शन और बेहतर सुविधाओं के साथ, अनुसंधान से जोड़ने के लिए राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों को भी समन्वित प्रयास करना होगा। 



ताकि किसी भी प्रकार से अनुसंधान से जुड़े विद्यार्थियों को असुविधा का सामना न करना पड़े और विद्यार्थी अनुसंधानों से जुड़कर देश के विकास में अपना योगदान दे सकें। राज्यपाल ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों से अपील करते हुए कहा कि उपाधि प्राप्त करने के बाद उपरांत आपकी अपने परिवार, समाज, राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी बढ़ जाती है। अभी तक सभी ने आपको कुछ न कुछ दिया है। अब आपकी अपनों एवं अपने राष्ट्र के प्रति कर्त्तव्यों के निर्वहन का अवसर है। इसलिये आप राष्ट्र के प्रति ईमानदार रहते हुए भारत को विश्वगुरू के स्थान पर स्थापित करने के हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की कल्पना को साकार करने में सहभागी बनें।

इस अवसर पर समारोह के विशेष प्रवक्ता इसरो के पूर्व अध्यक्ष एवं पद्मश्री ए.एस. किरण कुमार ने सभी विद्यार्थियों को बधाई देते हुए अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि देश को आर्थिक सुपरपावर बनाने के लिए अपने तकनीकी ज्ञान और कौशल को बढ़ाना होगा। इसी के द्वारा हम अपनी समस्याओं का समाधान कर पायेंगे। इसके लिए उन्होंने जीवन में निरंतर सीखते रहने की आवश्यकता बतलाई। इस अवसर पर आई.सी.एफ.ए.आई. विश्वविद्यालय, रायपुर के कुलाधिपति आर.पी. कौशिक, कुलपति एस.के. दुबे, निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष उमेश मिश्रा, कुलसचिव रवि किरण पटनायक एवं के.किशोर कुमार उपस्थित थे।

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