Responsive Ad Slot

Latest

latest


 

शासन के आदेश की अवहेलना, एसडीएम पर लटकी निलंबन की तलवार !

आनंदराम पत्रकारश्री

महासमुन्द। संयुक्त कलेक्टर और वर्तमान में एसडीएम महासमुन्द के पद पर लंबे समय से जमे विवादास्पद अधिकारी भागवत प्रसाद जायसवाल पर निलंबन की तलवार लटक रही है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री के अनुमोदन से नवीन जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ स्थानांतरण 26 अगस्त को हुआ था। 29 अगस्त को एकतरफा कार्यमुक्त होकर एक सितंबर को नए जिले में कार्यभार ग्रहण करना था। शासनादेश की अवहेलना करते हुए महीनेभर से महासमुन्द में जमे हुए हैं। 9 सितम्बर 2022 को कारण बताने स्पष्टीकरण नोटिस जारी किया गया। तीन दिन में जवाब मांगा गया। 12 सितम्बर तक जवाब देना था। 
सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश


इस नोटिस का जवाब देना भी उचित नहीं समझा गया। कलेक्टर महासमुन्द को भी नोटिस की प्रति आवश्यक कार्यवाही के लिए दी गई थी। 17 दिन बीत जाने के बावजूद न तो अधिकारी ने नई पदस्थापना में जॉइन किया। न ही महासमुन्द एसडीएम पद से रिलीव हुए। इसे शासन के आदेश की अवहेलना की श्रेणी में माना गया है। 
9 सितम्बर को जारी नोटिस



नए जिलों में अनुभवी अधिकारियों की आवश्यकता और महासमुन्द में अतिवादी प्रशासन की मिल रही निरंतर शिकायत पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने समन्वय में अनुमोदन से हटाया है। बावजूद इस स्थानांतरण आदेश को रद्दी की टोकरी में डालकर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं। इस पर सिविल सेवा आचरण नियम के तहत कार्यवाही की जा सकती है। अब तक निलंबित नहीं किया जाना भी संदेहास्पद है।

सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव क्लेमेन्टीना लकड़ा ने कलेक्टर महासमुन्द को 26 सितम्बर को जारी महत्वपूर्ण पत्र में तत्काल प्रभाव से आज ही 26 सितम्बर को एकतरफा कार्यमुक्त कर अवगत कराने का आदेश दिया है। इसका पालन नहीं होने पर निलंबन की कार्यवाही की जा सकती है। 

विवादों से है गहरा नाता


गौरतलब है कि एसडीएम भागवत प्रसाद जायसवाल का विवादों से गहरा नाता है। न्यायालयीन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अपनी जज पत्नी को प्रताड़ित करने के मामले में भागवत प्रसाद जायसवाल, उच्च न्यायालय बिलासपुर से अग्रिम जमानत पर हैं। वकीलों के साथ दुर्व्यवहार, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के साथ दुर्व्यवहार, विभिन्न संगठनों द्वारा मोर्चा खोलने, आंदोलन करने के बावजूद नहीं हटाया गया। प्रेस क्लब महासमुन्द के मामले में भी दुराग्रह से ग्रसित होकर कलेक्टर को भ्रमित करते रहे हैं। ओवरब्रिज में दर्जनभर भूमिस्वामियों को मुआवजा भुगतान किए बिना ही बलपूर्वक जबरिया आधी रात को भवनों को तोड़ने, उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश की अवज्ञा करते हुए प्रेस कार्यालय को ढहा देने जैसे अनेक गम्भीर आरोप इस अधिकारी पर लगा है। नगर पालिका अध्यक्ष चुनाव में सरेआम गड़बड़ी का आरोप है। किसानों के साथ ज्यादती और उधोगपति के साथ सांठगांठ के गम्भीर आरोप है। बावजूद, विवादास्पद अधिकारी को किनका संरक्षण है? यह शोध का विषय हो सकता है। 

कौन हैं संरक्षक?


अतिवादी प्रशासनिक अधिकारी का संरक्षक कौन हैं? यह चर्चा न केवल प्रशासनिक अमले में है, वरन आम आदमी में भी चर्चा का विषय है। किनके कहने पर कुछ सरपंचों को टारगेट कर पंचायती राज अधिनियम की धारा-40 के तहत पद से हटाया जा रहा है? यह पब्लिक है, सब जानती है। वक्त आने पर अतिवादी और भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे लोगों को जनता जवाब देगी। 
Don't Miss
© Media24Media | All Rights Reserved | Infowt Information Web Technologies.