आनंदराम पत्रकारश्री @ महासमुंद. युवा पत्रकार और नवोदित साहित्यकार 'साहस साव' असमय ही काल के गाल में समा गए। नशे की लत और दुःसाहस ने हमसे हमारा 'साहस' छीन लिया। मन बहुत व्यथित है, जीवन यात्रा में अनेक अवसरों पर साथ निभाने वाला 'साहस' इतनी जल्दी हमें अलविदा कहने की दुःसाहस भला कैसे कर सकते हैं? लंबी सांस लेकर मन को इस तरह समझा रहे हैं- 'विधि के विधान के समक्ष नतमस्तक होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।'
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साहस साव की अर्थी को कंधा देती हुई बेटियां हर्षा और लीली |
दुःख की इस बेला में सीना गर्व से तब चौड़ा हो गया, जब 'साहस' की दो बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर अदम्य साहस का परिचय दिया। ऐसा भी नहीं है कि 'साहस' के परिवार में कोई नहीं है। भरा पूरा, लंबा-चौड़ा परिवार है। बहुत से रिश्तेदार हैं।