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अक्ती तिहार में दिखा मुख्यमंत्री बघेल का किसनहा अंदाज, सिर पर साफा बांध चलाया ट्रैक्टर

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अक्ती तिहार के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने हाव-भाव और पहनावे से पूरी तरह किसान के रूप में नजर आए। कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय में आयोजित माटी पूजन के कार्यक्रम में वे धोती-कुर्ता पहनकर पहुंचे। धूप में खेतों में उतरे और सिर पर साफा बांधकर उन्होंने कल्टीवेटर के साथ ट्रैक्टर चलाते हुए जुताई की।  

बता दें कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल अपने सादगीभरे अंदाज के लिए जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री बघेल कई मंचों से ये बात स्वीकार कर चुके हैं कि वे पहले एक किसान हैं। खेती-किसानी की बारीकियों को बखूबी जानते हैं। इसलिए किसानों की चिंता भी करते हैं। अक्ती तिहार के अवसर पर कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय में आयोजित माटी पूजन के कार्यक्रम में उनके भीतर छिपे किसान का आचार-व्यवहार बाहर निकलता दिखा। यहां अक्ती तिहार के हर रस्म, परंपरा को वे स्वफूर्त निभाते दिखे। 

कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण करने के बाद जब माटी पूजन की बारी आई तो किसान के रूप में मुख्यमंत्री बघेल सबसे पहले धान की कोठी पहुंचे। धान की कोठी को उन्होंने पहले प्रणाम किया, मां अन्नपूर्णा से प्रदेश की समृद्धि की कामना की, तब जाकर दोने में धान लिया। धान कोठी से दोने में धान लेकर वे बैगा के पास पहुंचे और बैगा को यह दोना सौंपते हुए ठाकुर देव की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। बैगा ने भी ठाकुर देव की परंपरागत रूप से पूजा की और बीजहा धान किसान के तौर पर ठाकुर देव की शरण में पहुंचे मुख्यमंत्री बघेल को सौंपा। 

इस धान को खेत में लेकर मुख्यमंत्री ने धरती माता की पूजा की। खुशहाली और समृद्धि की कामना की, तब जाकर उन्होंने खेत की जमीन पर कुदाल चलाई और बीज रोपे। मुख्यमंत्री यहां पूरी तरह किसान के भावों से भरे रहे, और पूरी उत्सुकता के अंदाज में ट्रैक्टर की ओर बढ़ चले। एक किसान जिस आनंद के साथ अपने खेत की जुताई करता है, ठीक उसी अंदाज में उन्होंने आधी खेत को कल्टीवेटर लगे ट्रैक्टर से जुताई की। मुख्यमंत्री की सादगी को जानने वाले इस नजारे को देख उत्साहित तो थे ही, लेकिन पूरी तरह किसान के रूप में उन्हें देखकर आश्चर्यचकित भी दिखे।  

 

छत्तीसगढ़ में अक्ती तिहार और माटी पूजन की परंपरा का कितना महत्व है यह छत्तीसगढ़ में प्रचलित इस लोकोक्ती से समझा जा सकता है। दरअसल, इस दिन से ही राज्य में खेती-किसानी की तैयारी शुरू हो जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन को छत्तीसगढ़ में बहुत शुभ दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जिस काम की भी शुरूआत होती है, उसकी सफलता निश्चित है। उन्होंने कहा कि माटी पूजन कार्यक्रम से हम प्रकृति और धरती माता की रक्षा का संकल्प लेकर राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा देंगे। यह पर्व हमें रासायनिक खेती की जगह जैविक खेती की पुर्नस्थापना करने के लिए प्रेरित करेगा। 

CM बघेल ने की कुआं पूजा

CM बघेल ने इस मौके पर खेती-किसानी में पानी के महत्व को देखते हुए कुंआ पूजन भी किया। उन्होंने किसानों से खेती-किसानी में समृद्धि के लिए पुरखों के बताए हुए रास्ते पर चलने का अह्वान किया। कहा जाता है कि खेती-किसानी के लिए नवा बछर का यह दिन काफी शुभ दिन होता है। इस दिन कोई भी कार्य करना शुभ और समृद्धिदायक होता है। अक्ती त्यौहार के दिन प्रदेश के किसानों द्वारा अपने खेतों को उर्वरा शक्ति और अधिक उत्पादन के लिए अकरस जोतने का रिवाज है। इस दिन ग्रामीण बैगा द्वारा गांव की सुरक्षा और समृद्धि के लिए गांव बनाने का भी रिवाज है। इसलिए कहा भी जाता है कि नवा बछर किसानी के आगे, आगे अक्ती तिहार।

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