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वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से फसल उत्पादन में हुई बढ़ोतरी, किसानों के चेहरे पर आई मुस्कान

राजनांदगांव: कम कीमत पर उपलब्ध जैविक वर्मी कंपोस्ट खाद के उपयोग से भूमि की उर्वरता बढ़ रही है। शासन की ओर से गौठानों में महिला समूहों को प्रोत्साहित कर गोधन न्याय योजना के अंतर्गत निर्मित किए गए वर्मी कंपस्ट खाद न सिर्फ चमत्कारिक गुणों से भरपूर है, बल्कि हर किसानों और हर खेतों तक पहुंच आसान हो इसलिए ये बहुत ही कम दर पर किसानों के लिए उपलब्ध है। 

गोधन न्याय योजना की शुरुआत होने के बाद गांव के गौठान में उच्चगुणवत्तायुक्त जैविक वर्मी खाद का निर्माण होने और सहकारी समितियों में आसानी से उपलब्ध होने के कारण किसान बड़ी मात्रा में वर्मी खाद का उपयोग कर रहे हैं, जिसकी गुणवत्ता का प्रत्यक्ष प्रमाण खेतों में खड़े फसल की उपज, कीट बीमारियों का कम प्रकोप और दानों मे चमक है, जिसको देखकर किसानों के चेहरे पर मुस्कान आ गई है। मानपुर विकासखंड के हथरा गांव के सीमांत किसान कलीराम ने 2 हेक्टेयर में मक्का फसल प्रदर्शन में वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। 

कंपोस्ट का उपयोग करने से उत्पादन में बढ़ोतरी

उन्होंने कहा कि पहले रबी सीजन में फसलों से ज्यादा से ज्यादा पैदावार लेने के लिए रासायनिक खादों और तरह-तरह के दवाइयों का उपयोग किया जाता रहा है। क्योंकि भूमि की उर्वरता बढ़ाने के लिए और कोई विकल्प उपलब्ध नहीं था और बाजार में उपलब्ध जैविक खाद महंगे थे, लेकिन अब गोधन न्याय योजना के अंतर्गत कम कीमत में वर्मी कम्पोस्ट उपलब्ध हो रहा है, जिससे परिवर्तन आया है। डोंगरगढ़ विकासखंड के नागतराई गांव की लघु किसान हीराबाई ने बताया कि 1 हेक्टेयर में मक्का फसल लगाई थी। साथ ही वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। 

कीट बीमारी नहीं लगने से दवाओं का खर्चा भी बचा

छुरिया विकासखंड के नादिया गांव के लघु और सीमांत किसान कमलेश ने बताया कि उन्होंने 1 हेक्टेयर में रागी की फसल लगाई थी और वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करने से बेहतर परिणाम मिला है। उन्होंने कहा कि रागी फसल के लिए भूमि की तैयारी करते समय 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग किया गया है। इसके अलावा सिर्फ फसलों के ग्रोथ के लिए वेस्ट डी-कम्पोजर से तैयार किया गया स्प्रे का उपयोग किया गया है। इसके परिणाम स्वरूप खेती कास्त लागत कम होने के साथ ही कीट बीमारी नहीं लगने से दवाओं का खर्चा भी बचा है। 

5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर वर्मी खाद का उपयोग

वहीं धनगांव के किसान अनिरूद्ध ने 1-1 हेक्टेयर में रागी फसल प्रदर्शन के लिए वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करते हुए उत्पादन में बढ़ोतरी की है। उन्होंने कहा कि वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग अपने खेतों में किया और इसके गुणवत्तापूर्ण परिणाम रहे। बता दें कि मक्का, चना, गेहूं और रागी फसल के लिए भूमि तैयार करते समय 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर वर्मी खाद का उपयोग किया जा रहा है। जिले में गांव के बहुतायत किसानों द्वारा वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया जा रहा है।

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