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मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदा से बचाव और राहत व्यवस्था के लिए दिशा-निर्देश जारी

आगामी मानसून में अतिवर्षा से उत्पन्न आपदा की स्थिति में लोगों को राहत और बचाव के लिए आवश्यक व्यवस्था की तैयारियों के संबंध में सभी जिला कलेक्टरों को शासन ने व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने कलेक्टरों को पत्र लिखकर आगामी मानसून को देखते हुए अभी से व्यापक तैयारियां की जाएं। आपदा प्रबंधन के लिए तैयार एक्शन प्लान पर पुन विस्तृत चर्चा करें और सभी तथ्यों को यथा समय अद्यतन कर लें। 

बारिश मापक केंद्रों पर स्थापित वर्षामापक यंत्रों का उचित संधारण कर लिया जाए। नवगठित तहसीलों और जिन तहसीलों में बारिश मापक यंत्र नहीं लगाए गए हैं। वहां वर्षामापक यंत्र तत्काल स्थापित किया जाए। जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के साथ ही इसे एक जून 2022 से प्रारंभ किया जाए, जो 24 घंटा कार्य करेगा। कंट्रोल रूम की जानकारी सभी ग्राम पंचायतों और आम नागरिकों को भी उपलब्ध कराएं और इसका विभिन्न माध्यमों के जरिए प्रचार किया जाए। पहुंच विहीन क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में खाद्य सामग्री, नमक, केरोसीन, जीवन रक्षक दवाइयां का भंडारण कर लिया जाए। 

कुंओं, हैंडपंप शुद्धिकरण के निर्देश

कुंओं, हैंडपंप शुद्धिकरण कर लिया जाए। ऐसे क्षेत्रों की पहचान कर ली जाए, जहां हर साल बाढ़ आती है। ऐसे क्षेत्र के लोगों को आवश्यकता पड़ने पर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और उनको ठहराने के लिए राहत कैंप की सम्पूर्ण योजना तैयार कर ली जाएं और उन क्षेत्रों की लगातार निगरानी रखी जाए। आपदा की स्थिति में संचालित राहत शिविरों के लिये निर्धारित मापदंडों के अनुसार कार्य करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। बाढ़ से बचाव संबंधी जो भी उपकरण जिलों में उपलब्ध हो उनकी दुरुस्ती कराकर तुरंत उपयोग के लिए तैयार रखा जाए। जहां मोटर बोट उपलब्ध है वहां यह सुनिश्चित किया जाए कि मांग आने पर बोट्स और प्रशिक्षित जवानों को तुरंत रवाना किया जा सके। 

नालियों की सफाई पूर्ण करने के आदेश

नगरीय क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति प्राय नाले और नालियों के अवरुद्ध हो जाने के कारण होती है। अत यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि संबंधित नगर निगम, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों द्वारा बारिश के पूर्व शहर के तमाम नालों नालियों की सफाई पूर्ण कर ली जाए। शहरों के भीतर बाढ़ वाले क्षेत्रों में पोर्टेबल डिवाटरिंग पंपों की व्यवस्था की जाए। असुरक्षित पेड़ों की कटाई करना और सूचना पटल होर्डिग सुरक्षित करने की कार्रवाई कर ली जाए। जिन जिलों में बड़ी नदी बहती है। वे जिले नदी के जलस्तर पर बराबर नजर रखें और जलस्तर के खतरे के निशान पर पहुंचने की संभावना होने पर इसकी पूर्व सूचना राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम और निचले जिलों को लगातार देने की व्यवस्था करें।

इन नंबरों पर कर सकते हैं कॉल

तत्काल सुरक्षा उपाय की जाए। जलाशयों से जल छोड़ने पर विशेष ध्यान रखा जाए। जलाशयों में नियमित रुप से निकासी के प्रयास किए जाए, ताकि बाढ़ की स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके और बांधों का जलस्तर बढ़ने पर जल निकासी के लिए निचले जिलों और सीमावर्ती राज्यों को 12 घंटे पूर्व सूचना दी जाए। कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए बाढ़, चक्रवात, आपदा प्रबंधन के समय आवश्यक सावधानियां और उपाय किया जाए। राहत शिविरों में कोविड-19 के बचाव सावधानी के संबंध में समुचित व्यवस्था सुनिश्चत की जाए। बाढ़ की स्थिति और उससे हुई क्षति की नियमित जानकारी प्रतिदिन सन्धारित किया जाए और राज्य राहत आयुक्त के कार्यालय के फोन नंबर +91-771-2223471, फैक्स नंबर-+91-771-2223472 पर निर्धारित प्रारूप में प्रतिदिन दर्ज कराई जाए। इसके अतिरिक्त आवश्यकता अनुसार विभाग के ई-मेल cgrelief@gmail.com पर दी जा सकती है। 

आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने दिए निर्देश

सभी जिला और तहसील स्तर पर बाढ़ नियंत्रण अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए गए हैं। कलेक्टरों को बाढ़ की स्थिति में बचाव सामग्री की आवश्यकता होने पर राज्य आपदा प्रबंधन बल, महानिदेशक नगर सेना और नागरिक सुरक्षा छत्तीसगढ़ मुख्यालय रायपुर से संपर्क करने और राहत कार्यों के लिए आवश्यक मेनूअल पालन करने के निर्देश राजस्व समेत आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव ने दिए हैं।

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