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डॉक्टर की नाबालिग बेटी ने की खुदकुशी, वजह जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

देश में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही है। इसमें युवाओं के बाद 14-18 एज ग्रुप का नाम सबसे ज्यादा सामने आ रहा है। ताजा मामला MP के इंदौर का है, जहां 11वीं में पढ़ने वाली डॉक्टर की बेटी ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। छात्रा को कोचिंग के दो स्टूडेंट ने सिगरेट पीते देख लिया था। उन्होंने छात्रा के फोटो खींच लिए थे और वे उसे ब्लैकमेल कर रहे थे। छात्रा ने एक दिन पहले पूरी बात अपने पिता को बताई थी, लेकिन फिर भी उसे फोटो वायरल होने का डर था। इसी बात से वो डिप्रेशन में थी।

राजेन्द्र नगर TI मनीष डाबर ने बताया कि डॉ. केशव लोनखेडे की 18 साल की बेटी हीरन्या  ने रविवार देर शाम फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया। वो मालवा कन्या स्कूल में 11वीं क्लास में पढ़ती थी। घटना के वक्त छात्रा के पिता और मां घर से बाहर गए थे। 10 साल की छोटी बहन और 4 साल का भाई बिल्डिंग के नीचे खेल रहे थे। इसी दौरान हीरन्या ने ये कदम उठा लिया। शाम को जब माता-पिता वापस आए तो उन्होंने हीरन्या को फंदे पर लटके देखा। 

बच्चों के डॉक्टर हैं मृतिका के पिता 

पिता बच्चों के डॉक्टर हैं। मां बड़वानी में सरकारी अस्पताल में नर्स है। वो हर शनिवार इंदौर आती थीं और सोमवार सुबह लौट जाती थीं। TI ने कहा कि पुलिस मामले की जांच कर रही है। परिवार के बयान के बाद संबंधित स्टूडेंट्स के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। शनिवार को हीरन्या ने अपने पिता को बताया था कि वो कोचिंग से निकलने के बाद अपने दोस्तों के साथ सिगरेट पी रही थी। इसी दौरान कोचिंग में साथ पढ़ने वाले एक छात्र और छात्रा ने उसके फोटो ले लिए। 

पिता ने पुलिस को दी जानकारी

पिता ने बताया कि वे उन फोटोज को लेकर उसे डराने लगे। वे उन फोटोज को पापा-मम्मी को बताने की धमकी दे रहे थे। उसकी बात सुनकर पिता ने उसे थोड़ा डांटा और आगे से ऐसा नहीं करने के लिए समझाया। उन्होंने हीरन्या को माफ कर दिया था। पिता ने बताया कि उसे डर था कि दोस्त उसके फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे। इसी बात को लेकर वह डिप्रेशन में थी। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।

केंद्र सरकार के आंकड़े डराने वाले

केंद्र सरकार के एक आंकड़े के मुताबिक देश में साल 2017-19 के बीच 14-18 एज ग्रुप के 24 हजार से ज्यादा बच्चों ने आत्महत्या की है, जिनमें परीक्षा में फेल होने से आत्महत्या करने के 4 हजार से ज्यादा मामले शामिल हैं। संसद में हाल में पेश नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 14-18 एज ग्रुप के कम से कम 24 हजार 568 बच्चों ने साल 2017-19 के बीच आत्महत्या की है।

आखिर क्यों बच्चे उठा रहे प्राणघातक कदम

आत्महत्या करने वालों में 13 हजार 325 लड़कियां शामिल हैं। अगर इन्हें साल के हिसाब से देखा जाए तो 2017 में 14-18 एज ग्रुप के कम से कम 8029 बच्चों ने आत्महत्या की थी, जो 2018 में बढ़कर 8,162 हो गई और 2019 में यह संख्या बढ़कर 8377 हो गई। इस एज ग्रुप में आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले मध्यप्रदेश से सामने आए, जहां 3 हजार 115 बच्चों ने खुदकुशी की। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 2802, महाराष्ट्र में 2527 और तमिलनाडु में 2035 बच्चों ने आत्महत्या की है।

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