महासमुन्द। जिले में प्रशासनिक अतिवाद का एक और मामला सामने आया है। बेलसोंडा सरपंच भामिनी पोखन चंद्राकर ने प्रेस क्लब में प्रेसवार्ता आयोजित कर अपनी पीड़ा व्यक्त की। महिला सरपंच को महासमुन्द एसडीएम बात-बात में धारा-40 की कार्यवाही कर पद से हटा देने की धमकी देते हैं। ऐसे में ग्राम स्वराज और पंचायती राज का सपना कैसे साकार होगा? बेलसोंडा में चारागाह की जमीन आरटीओ को देने की तैयारी कर ली गई है। ग्रामीणों ने पुरजोर विरोध किया। ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर चारागाह की जमीन परिवहन विभाग को नहीं देने का आग्रह किया। बावजूद, एसडीएम ने एक नहीं सुनी। चारागाह के लिए सुरक्षित जमीन खसरा नम्बर 288 रकबा 5.78 हेक्टेयर में से 4.0 हेक्टेयर भूमि को निस्तार पत्रक से अलग कर आरटीओ को आबंटित कर दिया गया।
ग्रामसभा का प्रस्ताव दरकिनार
सरपंच भामिनी चंद्राकर का आरोप है कि भूमि आबंटन के लिए इश्तहार का प्रकाशन ऐसे दो समाचार पत्रों में किया गया, जिसकी प्रसार संख्या नगण्य है। उनके गांव में यह अखबार पहुंचता ही नहीं है। इस तरह से सुनियोजित तरीके से चारागाह की जमीन को आरटीओ कार्यालय के हथियाने का कुचक्र रचा गया है। पास के गांव साराडीह में पर्याप्त भूमि उपलब्ध होने और वहां के पंचायत प्रतिनिधियों की सहमति होने के बावजूद बेलसोंडा की जमीन को ही अधिग्रहित करने की रणनीति के तहत काम किया गया है। ग्राम सभा के प्रस्ताव को दरकिनार करना पंचायती राज व्यवस्था का अपमान है। यह अफसरशाही का परिणाम है कि ग्राम सभा के निर्णय को हासिए में रखकर प्रशासन मनमानी कर रही है।
खड़े होकर अतिक्रमण करा रहे हैं एसडीएम !
सरपंच श्रीमती चंद्राकर और उनके साथी पंचगण प्रकाश साहू, बलराम चंद्राकर, भारती ध्रुव, सरस्वती साहू ने बताया कि चारागाह की भूमि पर अधिकारियों की मिलीभगत से कब्जा हो गया है। 31 जनवरी 2022 को रविवार अवकाश के दिन एसडीएम स्वयं खड़े होकर कब्जा करवा रहे थे। इसकी शिकायत के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। सरपंच चंद्राकर ने दुखी होकर कहा कि जब चारागाह ही सुरक्षित नहीं है तब गोवंश को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है। इस तरह से नरवा, गरवा, घुरवा, बारी की महत्वाकांक्षी योजना भी अफसरशाही की भेंट चढ़ रहा है।