बलौदाबाजार: राज्य शासन की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय और सुराजी गांव योजना का दायरा अब जेल तक पहुंच गया है। जिले में एक और जहां इसका विस्तार बारनवापारा के अंचलों में किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर इसका विस्तार अब जेल तक कर दी गई है। अब इसके सकारात्मक परिणाम मिलने लगे हैं। कैदियों ने पहली खेप के रूप में 7 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट तैयार किए हैं। तैयार वर्मी कंपोस्ट को जेल प्रशासन के द्वारा ही खरीद ली जाएगी और इसका उपयोग जेल के भीतर बनाए जा रहे बाड़ी विकास के तहत पोषण वाटिका में किया जाएगा। इसके अतिरिक्त आने वाले कुछ दिनों में लगभग 25 क्विंटल वर्मी भी तैयार हो जाएगा।
कलेक्टर डोमन सिंह के निर्देश पर जेल के अंदर कैदियों को भी स्वरोजगार से जोड़ते हुए उन्हें वर्मी कंपोस्ट निर्माण,मशरूम उत्पादन और अन्य रोजगार मूलक गतिविधियों को शुरू की गई है। इसके तहत प्रथम चरण में 40- 40 चयनित कैदियों को वर्मी कंपोस्ट और पोषण बाड़ी निर्माण का प्रशिक्षण सतत रूप से दिया जा रहा है। इन्हीं कैदियों के द्वारा ही परिसर में ही अस्थायी टैंक द्वारा वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया गया है। साथ ही बाड़ी विकास के तहत पोषण वाटिका में साग भाजी का भी रोपण करनें की तैयारी की जा रही है। इस कार्य के पहले चरण में मिट्टी का पटाव कर प्रारंभिक तैयारी अब पूरी कर ली गई है।
6 लाख 30 हजार रुपए का बायो गैस लगाने की तैयारी
वर्मी कंपोस्ट का प्रशिक्षण नगर पालिका परिषद बलौदाबाजार और पोषण बाड़ी का प्रशिक्षण उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। इसके अतिरिक्त क्रेडा द्वारा 6 लाख 30 हजार रुपए का बायो गैस लगाने की तैयारी चल रही है। जिसका उपयोग यहां पर खाना बनाने में किया जाएगा। इस काम की स्वीकृति कलेक्टर डोमन सिंह के द्वारा दी गई है। साथ ही नगर पालिका परिषद बलौदाबाजार द्वारा जेल के चारों तरफ ब्लॉक प्लांनटेंशन का भी कार्य किया जा रहा है, जिससे सुरक्षा और अतिरिक्त भूमि पर फलदार पेड़ लगाएं जाएंगे। परिसर के बाहर खाली पड़ी जमीन पर पशु पालन विभाग द्वारा चारागाह विस्तार के लिए नेपियर घास लगाने की तैयारी की जा रही। इन सभी कार्यों में सुरक्षा व्यवस्था को भी पूरी तरह नजर रखा जा रहा है।
मानसिक स्थिति में सुधार
सहायक जेल अधीक्षक अभिषेक मिश्रा ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश और सतत मार्गदर्शन से गोधन न्याय योजना के तहत गतिविधियों को शुरू किया गया है। मुझे बेहद खुशी है की इसके अब सकारात्मक परिणाम देखने मिल रहें है। मनोचिकित्सक डॉक्टर राकेश प्रेमी ने बताया कि कैदियों को ऐसे प्रशिक्षण और कार्यों में लगाने से सकारात्मक सुधार उनके व्यवहार में होता है। उन्हें डिप्रेशन से बचाव और अच्छे इंसान बनने में मदद मिलती है।