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महासमुंद में प्रशासनिक आतंकवाद चरम पर, बिना पूर्व सूचना तोड़ दी निजी मकान

महासमुंद। जिले में प्रशासनिक आतंकवाद चरम पर है। कुछ अधिकारी तथाकथित 'ऊपर के दबाव'  में नियम कायदों को ताक में रखकर स्वेच्छाचारिता कर रहे हैं। उच्च न्यायालय की कार्यवाही और स्थगन आदेश को भी दरकिनार कर मनमानी कर रहे हैं। प्रशासनिक आतंकवाद से संवेदनशील छत्तीसगढ़ सरकार की छवि धूमिल हो रही है। ऐसा कहना है मीना आनंदराम साहू का। प्रेस को जारी बयान में उन्होंने कहा है कि आज दोपहर में कुछ अधिकारी तुमगांव ओवरब्रिज के ठेकेदार के इशारे पर उनके भूमिस्वामी मद के मकान को बलपूर्वक तोड़कर फरार हो गए हैं। माता के अस्वस्थ होने की वजह से वह मकान में ताला लगाकर उपचार के लिए गई थीं। इस बीच सूने मकान को ढहा दिया गया।  

शुक्रवार को रात में ठेकेदार के कर्मचारियों ने जेसीबी मशीन से मकान को  गुंडागर्दी पूर्वक मकान को तोड़ने का प्रयास किया था। जिसके खिलाफ मकान मालिक मीना साहू ने सिटी कोतवाली महासमुन्द में रिपोर्ट दर्ज कराई है। इससे बौखलाकर ठेकेदार ने सेतु निगम के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों और राजस्व विभाग के मैदानी अमले से मिलीभगत कर भूमि अधिग्रहण की प्रकिया पूरी किए बिना ही बलपूर्वक आज दोपहर में तोड़ दिया। 

सामान खाली करने का अवसर दिए बिना अथवा नोटिस दिए बिना ही पक्का मकान को ढहा दिया गया । तालाबंद मकान को जबरिया तोड़ देने से मकान में रखा करीब सवा लाख रुपये का प्रेस का प्रिंटिंग सह फोटोकोपी मशीन, मकान मालिक मीना साहू के पति पत्रकार आनंदराम साहू का लैपटॉप, ऑफिस के जरूरी कागजात, कम्प्यूटर सिस्टम, ब्राडबैंड, कुर्सी, टेबल सहित भारी क्षति हुई है। 

उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान की गई दमनकारी कार्यवाही

निजी भूमि स्वामी हक के मकान को जबरिया तोड़ने के प्रयास के विरुद्ध  मीना साहू ने उच्च न्यायालय में अधिवक्ता ओम पी साहू, निशिकांत सिन्हा के माध्यम से याचिका लगाई थी। जिसकी सुनवाई हेतु मेंशन किए जाने पर दोपहर में तीन बजे किया गया। इस बात की जानकारी जिला के राजस्व अधिकारियों और सेतु निगम के अधिकारियों को हो गई थी। जिसे कि सुनवाई के पहले ही सुनियोजित तरीके से ताबड़तोड़ तोड़फोड़ कर जेसीबी और बुलडोजर से पक्का मकान को ढहा दिया गया। साढ़े तीन बजे तक कोर्ट का स्टे ऑर्डर आ चुका था। जिसकी जानकारी जिम्मेदारों को दी गई। 

फोन पर हाइकोर्ट के शासकीय अभिभाषक द्वारा दिए गए निर्देशों को दरकिनार करते हुए तोड़फोड़ स्टे आर्डर के बावजूद जारी रखा। इस तरह न्यायपालिका का भी अफसरों ने सम्मान नहीं किया। श्रीमती मीना साहू का कहना है कि वे भी चाहतीं हैं कि जनहित में ओवरब्रिज जल्दी बने। लेकिन, समान हटाने नोटिस दिए बिना और भूमि अधिग्रहण की प्रकिया पूरी किए बिना बलपूर्वक बेदखली की कार्यवाही प्रशासनिक आतंकवाद है। इसे लेकर जनमानस में गहरी नाराजगी है।

उच्च न्यायालय के कार्यवाही और स्टे ऑर्डर की कॉपी


स्टे आर्डर आने पर मुंह छिपाकर कार्रवाई करते दिखे अधिकारी 


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