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छत्तीसगढ़ में 3 साल के अंदर 10 गुना बढ़ा मक्के का रकबा

छत्तीसगढ़ राज्य में बीते तीन-चार सालों के अंदर मक्के की खेती को लेकर किसानों का रूझान काफी तेजी से बढ़ा है, जिसकी वजह से मक्के का रकबा 13 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 46 हजार हेक्टेयर हो गया है, जो कि 10 गुना से भी ज्यादा है। राज्य में समर्थन मूल्य पर 1870 रूपए प्रति क्विंटल की दर से मक्के की खरीदी और कोंडागांव में प्रसंस्करण केंद्र शुरू होने से किसानों को बेहतर दाम मिलने लगा है। इसके चलते मक्के के रकबे में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। 

केंद्र से अनुमति मिलने के बाद कोंडागांव मक्का प्रसंस्करण केंद्र में मक्का से स्टार्च के स्थान अब एथेनाल के उत्पादन के लिए प्लांट लगाए जाने की तैयारी जोर-शोर से जारी है। बीते रबी सीजन 2020-21 में राज्य में 93 हजार 200 हेक्टेयर में किसानों ने मक्के की खेती की गई थी, जिसका रकबा चालू रबी सीजन में बढ़कर एक लाख 46 हजार 130 हेक्टेयर हो गया है। एक साल के दौरान मक्के के रकबे के लक्ष्य में लगभग 53 हजार हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

मक्के की खेती का रकबा 327 गुना बढ़ा

गौरतलब है कि राज्य में रबी सीजन 2017-18 में सिर्फ 13 हजार 440 हेक्टेयर में मक्के की खेती किसानों ने की थी। साल 2016-17 में रबी सीजन में मात्र 12 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती हुई थी। राज्य में तीन-चार साल पहले 12 से ज्यादा जिले ऐसे थे, जहां मक्के की खेती लगभग नहीं के बराबर थी। आज स्थिति में कोरिया जिले को छोड़कर बाकी सभी जिलों में मक्के की खेती किसान करने लगे हैं, जिसके चलते मक्के की खेती का रकबा 10 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। साल 2017-18 की तुलना में राज्य के बिलासपुर संभाग के जिलों में इस साल मक्के की खेती का रकबा 327 गुना बढ़ा है। 

बिलासपुर संभाग के जिलों में पहले मात्र 60 हेक्टेयर में मक्के की खेती होती थी, जिसका रकबा आज बढ़कर 19 हजार 662 हेक्टेयर हो गया है। राज्य के कोंडागांव जिले में सर्वाधिक 45 हजार 880 हेक्टेयर में मक्का की खेती किसान कर रहे हैं। यहां पहले बमुश्किल 4260 हेक्टेयर में मक्का बोया जाता था। यही स्थति लगभग कांकेर जिले की भी थी। तीन-चार सालों में कांकेर जिले में मक्के का रकबा 4,000 हेक्टेयर से बढ़कर 28 हजार हेक्टेयर के पार पहुंच गया है। 

रायपुर संभाग में 21 हजार हेक्टेयर रकबा

रायपुर संभाग के जिलों में लगभग 1470 हेक्टेयर से बढ़कर मक्के का रकबा 21 हजार हेक्टेयर, दुर्ग संभाग में 1470 हेक्टेयर से बढ़कर 8780 हेक्टेयर और सरगुजा संभाग में 290 हेक्टेयर से बढ़कर 10690 हेक्टेयर और बस्तर संभाग के जिले में मक्के की खेती का रकबा 10,000 हेक्टेयर से बढ़कर 85,800 हेक्टेयर पहुंच गया है। राज्य में इस साल 1,46,130 हेक्टेयर में मक्का की खेती की जा रही है। कांकेर जिले के चारामा विकाखंड के बागडोंगरी के किसान नकछेड़ा राम नाइक कहते हैं कि अब तो मक्का की खेती में ही मजा आता है। 

'धान की खेती में ज्यादा फायदा नहीं'

धान की खेती में ज्यादा फायदा नहीं है। नाइक ने बताया कि वे बीते कुछ सालों से मक्का की खेती कर रहे हैं, जिसमें मेहनत, लागत और पानी भी कम लगता है, फायदा ज्यादा होता है। मक्का की खेती से एक एकड़ में लगभग 26 हजार रूपये की आमदनी हो जाती है। बीते साल उनके द्वारा दो एकड़ में मक्का ली गई थी, जिसे 50 हजार रूपये में बेचा गया था।



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