राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 'चिरायु' योजना में चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक राज्य में 7440 बच्चों का इलाज किया गया है। 'चिरायु' योजना के तहत शून्य से 18 साल तक के बच्चों की जांच कर जरुरतमंद बच्चों को निशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जाता है। बाल स्वास्थ्य की देखभाल के लिए प्रदेशभर में 328 'चिरायु' दल कार्यरत हैं। ये प्रदेशभर के स्कूलों और आंगनबाड़ियों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर उनकी शारीरिक कमियों और रोगों की पहचान करते हैं। साथ ही निशुल्क इलाज की व्यवस्था करते हैं।
प्रदेश में साल 2014 से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम संचालित है। इसका उद्देश्य शून्य से 18 साल तक की आयु के बच्चों में 4-डी यानी डिफेक्ट एट बर्थ, डिसीज, डिफिसिएन्सी एंड डेवलपमेन्ट डिलेस इनक्लुडिंग डिसएबिलिटी (4D - Defect at birth, Disease, Deficiency & Development delays including disability) की जांच कर जल्द इलाज उपलब्ध कराना है। इसके तहत बच्चों में 44 प्रकार की बीमारियों की पहचान और जांच कर इलाज किया जाता है। जरुरत पड़ने पर उच्च संस्थाओं में रेफर भी किया जाता है। प्रदेश में ये कार्यक्रम 'चिरायु' नाम से लोकप्रिय है।
'चिरायु' कार्यक्रम के अंतर्गत जन्म से 6 हफ्ते की आयु के नवजात शिशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण डिलीवरी प्वाइंट के स्टॉफ द्वारा, 6 हफ्ते से 6 साल की आयु के बच्चों का आंगनबाड़ी केंद्रों में और 6 साल से 18 साल की आयु के बच्चों का शासकीय और अनुदान प्राप्त विद्यालयों में 'चिरायु' दलों द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। जरुरत पड़ने पर उच्चस्तरीय जांच और इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में रेफर भी किया जाता है।
'चिरायु' में 44 तरह की बीमारियों का इलाज
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. वीआर भगत ने बताया कि प्रदेश के हर विकासखंड में दो-दो 'चिरायु' दलों का गठन किया गया है। हर दल में दो आयुष चिकित्सक (एक महिला और एक पुरूष), एक फार्मासिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन और एक ANM शामिल हैं। अभी प्रदेशभर में 328 'चिरायु' दल कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत 44 प्रकार की बीमारियों को चार समूह में बांटा गया है।
समूह 'ए' में ऐसी बीमारियों को शामिल किया गया है, जिनके इलाज के लिए अति विशिष्ट या विशेषज्ञ सेवाओं की आवश्यकता होती है। समूह 'बी' में ऐसी बीमारियां शामिल हैं, जिनका इलाज जिला चिकित्सालय या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में किया जा सकता है। समूह 'सी' में ऐसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज दवाई वितरित कर किया जा सकता है। समूह 'डी' में वे बीमारियां शामिल हैं, जिन्हें चिकित्सकीय इलाज के स्थान पर अन्य सलाह और पुर्नवास की आवश्यकता होती है।
समूह 'ए' के अंतर्गत आने वाली बीमारियों के इलाज के लिए राज्य नोडल एजेंसी को अधिकृत किया गया है। गंभीर बीमारियों का इलाज शासकीय अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के माध्यम से किया जाता है। शासकीय अस्पतालों में इलाज न होने की दशा में निजी पंजीकृत चिकित्सालयों में इलाज किया जाता है। सभी समूहों में इलाज निशुल्क किया जाता है। चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य में 'चिरायु' कार्यक्रम के माध्यम से समूह 'ए' में 579 बच्चों, समूह 'बी' में 4891 बच्चों, समूह 'सी' में 1451 बच्चों और समूह 'डी' में 519 बच्चों का इलाज किया गया है। बच्चों को चिन्हांकित कर इलाज उपलब्ध कराने का क्रम सालभर लगातार चलते रहता है।