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वनवासियों के आस्था का केंद्र 'देवगुड़ियों', तेजी से हो रहा विकास और सौंदर्यीकरण

छत्तीससगढ़ के सुदूर वनांचल में वनवासियों के आस्था का केंद्र 'देवगुड़ियों' का संरक्षण और संवर्धन का कार्य तेजी से जारी है। इस कड़ी में बीजापुर वन मंडल अंतर्गत साल 2018-19 में 2020-21 तक 63 देवगुड़ियों में संरक्षण और संवर्धन कार्य अंतर्गत उनके बाउंड्रीवॉल समेत चैनलिंक फैंसिंग का काम कराया गया। 

जगदलपुर मुख्य वन संरक्षक मोहम्मद शाहिद ने जानकारी दी कि इनके विकास काम के लिए कैंपा (छत्तीसगढ़ प्रतिकरात्मक वनरोपण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण) के तहत 2 करोड़ 82 लाख रूपए की राशि स्वीकृत थी। देवगुड़ियों के संरक्षण और संवर्धन से स्थानीय वनवासियों के विश्वास-आस्था को मजबूती मिली है, जिससे स्थानीय वनवासी आज वन विभाग को अवैध कटाई, अतिक्रमण पर रोकथाम समेत अग्नि सुरक्षा के कार्यों में वनों के विकास के लिए परस्पर सहयोग प्रदान करने में जुटे हुए हैं। 

गौरतलब है कि बीजापुर वन मंडल जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र है। यहां पर निवासरत जनजातियों में विभिन्न प्रकार की स्थानीय मान्यताओं के साथ-साथ कई देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। इन देवी-देवताओं के पूजा स्थल सुदूर वन क्षेत्र में स्थित है, जिसे वे पवित्र स्थल के रूप में मानते हैं और वहां किसी प्रकार की अवैध कटाई, अतिक्रमण अन्य निषिद्ध काम को नहीं करते हैं। इन स्थलों पर बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रहता है। इन स्थलों पर उनकी मनोभावनाएं जुड़ी रहती है। राज्य सरकार की मंशानुसार स्थानीय ग्रामीणों और वनवासियों के इन मान्यताओं को बनाए रखने के लिए देवगुड़ियों का संरक्षण-संवर्धन का कार्य कराया जा रहा है।

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