महासमुंद। समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के बाद उपार्जन केंद्रों से धान का उठाव समय पर नहीं होने के चलते सोसाइटियों में रखे धान में सुखत आना शुरू हो गया है, जिससे समितियों में प्रबंधकों सहित संचालक मंडल सदस्यों के माथे पर चिंता की लकीरें मंडरा रही है। इसके पूर्व उपार्जन के दौरान जिले मे हुई सप्ताह भर बारिश से कर्मचारी धान को बचाने हलाकान होते रहे हैं। अब धूप मे तेजी आते ही धान मे सुखत मे तेजी आई है। यदि माहांत तक या मार्च के पहले सप्ताह तक धान परिवहन मे तेजी नहीं आता तो सोसायटियो मे सुखत से नुकसान की आशंका है।
बीते साल कर्मचारी महासंघ द्वारा परिवहन मे देरी के चलते हुए नुकसान को शासन द्वारा भरपाई किए जाने की मांग को लेकर लगभग पखवाड़े भर तक चले आंदोलन के चलते सोसायटीया बंद रही। जिसके बाद उपार्जन के बाद लेट लतीफी के कारण हुई नुकसान के लिए शासन द्वारा एकमुश्त 250 करोड़ रुपये सोसायटियो को देने की बात कही गईं है, जो कि ठंडे बस्ते मे चली गई है.
बारदनों को चूहों के कुतरने से स्टेकिंग
शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि उपार्जन केन्द्रो से धान का उठाव 72 घंटे के भीतर हो जाने चाहिए। पर इसका पालन पुरे प्रदेश मे कही नहीं किया जा रहा। धान खरीदी के शुरुआत मे ही धान के सुस्त परिवहन के चलते स्थिति चरमराती चलीं गईं लिहाजा आज सोसायटियो मे धान बफर लिमिट से ऊपर जाम पड़े है। .जिसमे चूहें अथवा दीमक अपने घऱ बनाते दिखेंगे. बारदानो को चूहें के कुतरने से स्टेकिंग की गई धान के गिरने का भय बना रहता है जिसके पुनः स्टेकिंग से हमाली का खर्च अधिक बढ़ जाता है.
कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष ने दी जानकारी
जिले के सहकारी समिति कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष जयप्रकाश साहू ने बताया कि समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी के समय धान को 17 प्रतिशत नमी पर लिया जाता है । जो कि सूख कर 12 प्रतिशत पर आ जाता है। यदि धान परिवहन मे विलम्ब होता है तो इसका खामियाजा समितियों को भोगना पड़ता है। जो कि धान ख़रीदी नीति के तहत गलत है। धान के परिवहन का जिम्मा विपणन संघ का होता है अतः उठाव मे देरी से हुए नुकसान की भरपाई भी विपणन संघ से किया जावे।