महासमुंद। युवा नेता और पूर्व सांसद प्रतिनिधि योगेश्वर चंद्राकर ने यहां प्रेस क्लब में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि छात्रा की मौत के लिए एकमात्र छात्रावास अधीक्षक को जिम्मेदार ठहराया जाना ज्यादती है। इस हादसे के लिए जिम्मेदार अफसरों पर भी कार्रवाई हो तो बात बने। उन्होंने बताया कि प्री मैट्रिक अनुसूचित जनजाति छात्रावास पटेवा के लोकार्पण अवसर पर तत्कालीन सांसद चंदूलाल साहू ने विद्युत विभाग के अफसरों को इस तार को हटाने का निर्देश दिया था। इस पर कार्यवाही भी हुई।
बावनकेरा फीडर की सप्लाई लाइन को डायवर्ट किया गया। लेकिन, छात्रावास के सामने से होकर गुजरे खतरनाक विद्युत लाइन को डिस्कनेक्ट नहीं किया गया। इस डेड लाइन में अनावश्यक विद्युत आपूर्ति जारी रखा गया। इससे मासूम बच्ची की मौत जैसा बड़ा हादसा हो गया। उन्होंने इसके लिए विद्युत विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने और छात्रावास प्रबंधन से जुड़े अफसरों की लापरवाही के लिए कार्यवाही सुनिश्चित करने की मांग उठाई।
समस्याओं का नहीं किया निवारण
उन्होंने छात्रावास में व्याप्त अव्यवस्था के लिए आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों को भी बराबर का जिम्मेदार ठहराया है। योगेश्वर का कहना है कि छात्रावास में सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगाया गया है। जबकि, नोटिस बोर्ड में सीसीटीवी कैमरे की निगरानी का सूचना अंकित है। हाईटेंशन विद्युत लाइन को हटाने विभागीय अधिकारियों द्वारा कारगर उपाय क्यों नहीं किया गया। घटना के दिन एकमात्र महिला कर्मचारी छात्रावास अधीक्षक ही ड्यूटी पर थीं। समुचित व्यवस्था नहीं होने से यह गम्भीर हादसा हुआ। आनन फानन में अधीक्षक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और निष्पक्ष जांच नहीं होने से महिला अवसादग्रस्त है। विभागीय लापरवाही के लिए अफसरों की जिम्मेवारी तय कर कार्यवाही किया जाना चाहिए। किसी भी स्थान पर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए निष्पक्ष जांच कार्यवाही आवश्यक है।