छत्तीसगढ़ के मौसम में एक बार फिर बदलाव देखने को मिल सकता है। कई जिलों में आज बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक हवाओं की दिशा बदलने से छत्तीसगढ़ के आसमान पर एक बार फिर बादल छा गए हैं। अरब सागर से नमी लेकर आ रही पश्चिमी हवा और बंगाल की खाड़ी से आ रही दक्षिणी हवा ने यहां माहौल बना दिया है, जिसके असर से रविवार यानी आज रायपुर, दुर्ग समेत बस्तर संभाग के उत्तरी हिस्से में एक-दो स्थानों पर बूंदाबांदी हो सकती है।
लगातार ऐसा ही रह सकता है मौसम
छत्तीसगढ़ के मध्य-उत्तर क्षेत्रों में शनिवार को भी दिन भर बादल छाए रहे। संभावना जताई जा रही थी कि सरगुजा संभाग के एक-दो स्थानों पर बरसात होगी। हालांकि अभी तक किसी हिस्से से बरसात की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है। हालांकि देर रात से सुबह तक बरसात होने की संभावना बनी हुई है।मौसम विज्ञानी ने बताया फरवरी का ये मौसम संक्रमण काल जैसा है। इसमें धूप-छांव जैसी स्थिति बनी रहती है। ताजा पश्चिमी विक्षोभ की जो स्थिति बन रही है उसके मुताबिक 25-26 फरवरी तक मौसम इसी तरह बना रहेगा। बादल आते-जाते रहेंगे। कहीं-कहीं हल्की बरसात हो सकती है। हालांकि तापमान में बड़ा परिवर्तन नहीं होगा।
जशपुर, पेंड्रा में न्यूनतम तापमान सामान्य से कम
बीते कुछ दिनों में प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में रात का तापमान काफी गर्म हुआ है। सिर्फ जशपुर, पेंड्रा रोड, अंबिकापुर और दुर्ग का न्यूनतम तापमान ही सामान्य से कम है। जशपुर के डुमरबहार में न्यूनतम तापमान 10.7 डिग्री सेल्सियस मापा गया है। अंबिकापुर में 11 डिग्री है जो सामान्य से 1.3 डिग्री कम है। पेंड्रा रोड में न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 1 डिग्री कम है। वहीं दुर्ग में 15.6 डिग्री तापमान दर्ज हुआ है जो सामान्य से 8 डिग्री कम है।
किसानों को कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
छत्तीसगढ़ में सरसो की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि इस मौसम में इस पर माहूं का अटैक हो सकता है। मौसम में हो रहे बदलाव और बादलों को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने फसलों की देखभाल में सावधानी बरतने की हिदायत दी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल छाए रहने से चने की फसल में इल्लियों का प्रकोप बढ़ सकता है। अगर ऐसा दिखे तो मौसम साफ होने पर दवा का छिड़काव करें। इस मौसम में सरसो का माहूं लगने की आशंका है। सूरजमुखी में भूरा धब्बा रोग लगने की भी संभावना मौसम की वजह से बढ़ी हुई है। हल्की बरसात वाले इलाकों में गेहूं की सिंचाई की जरूरत नहीं है। गर्मी का धान लगाने वाले किसान एक सिंचाई जरूर कर दें। वहीं किसानों के अपनी फसलों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।