भारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर का मुंबई के शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान के साथ रविवार को अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें उनके भाई हृदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दी। इस मौके पर हजारों चाहने वाले और दीदी के परिवार के सदस्य वहां पर मौजूद रहे। वहीं फिल्मी दुनिया से लेकर PM मोदी और राजनीतिक समेत खेल जगत की कई हस्तियां अंतिम संस्कार में शामिल हुए।
लता मंगेशकर ने सुबह 8 बजकर 12 मिनट पर अंतिम सांस ली और शाम 7 बजकर 16 मिनट पर उन्हें मुखाग्नि दी गई। कोरोना और निमोनिया से 29 दिन लड़ीं, लेकिन रविवार को उन्होंने दम तोड़ दिया। मुखाग्नि भतीजे आदित्य ने दी। साथ में भाई हृदयनाथ मंगेशकर झुके सिर और नम आंखों से हर वो काम करते रहे, जो आदित्य कर रहे थे। बगल में सबकुछ देखतीं लता ताई की बहनें उषा, आशा और मीना भी मौजूद थीं।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े हस्तियां आए और करीब से श्रद्धांजलि देते गए। बाकी लाखों-करोड़ों लोग दूर से, घरों से, अपने-अपने शहरों से और जिसे जहां जगह मिली, वहां से सब देखते रहे। अपने तरीके से अंतिम प्रणाम करते गए। हर मोबाइल, रेडियो, घर, दुकान, कार, सब जगह लता ही थीं। उनके तमाम गाने गुनगुनाते और दोहराए जाते रहे। लता मंगेशकर के निधन पर 2 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। यानी देशभर में झंडा आधा झुका रहेगा और किसी भी तरह के जश्न का कार्यक्रम नहीं होगा।
वहीं महाराष्ट्र सरकार ने लताजी के सम्मान में आज सार्वजनिक छुट्टी और तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी आधे दिन की छुट्टी घोषित कर दी है। वहीं छत्तीसगढ़ में भी 2 दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। बता दें कि सेना के जवान लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर घर से बाहर लाए। इसके बाद आर्मी, नेवी, एयरफोर्स और महाराष्ट्र पुलिस के जवानों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। उनका पार्थिव शरीर फूलों से सजे सेना के ट्रक में रखकर शिवाजी पार्क ले जाया गया। मुंबई के हजारों लोग लता ताई को अंतिम विदाई देने सड़कों पर उतर आए। लता जी की पार्थिव देह दोपहर 1.10 बजे ब्रीच कैंडी अस्पताल से उनके घर पहुंची थी।
बता दें कि लता मंगेशकर की कोरोना रिपोर्ट 8 जनवरी को पॉजिटिव आई थी। इसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि इसके दो दिन बाद यानी 10 जनवरी को इस बारे में सबको पता चला। करीब पांच दिन पहले उनकी सेहत में सुधार होने लगा था। ऑक्सीजन निकाल दी गई थी, पर ICU में ही रखा गया। लता मंगेशकर बहन उषा और भाई हृदयनाथ के साथ मुंबई के पेडर रोड स्थित प्रभुकुंज में पहले फ्लोर पर रहती थीं। सालों तक प्रभाकुंज सोसायटी की सुबह लता मंगेशकर के संगीत के रियाज से ही शुरू होती रही।
खराब सेहत के कारण करीब चार साल से उनका रियाज बंद सा हो गया था। नवंबर 2019 में भी लताजी को निमोनिया और सांस की तकलीफ के कारण ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब 28 दिन भर्ती रही थीं। नवंबर 2019 के बाद से उनका घर से निकलना लगभग बंद हो चुका था। लताजी लगभग दो साल से घर से नहीं निकली थीं। वे कभी-कभी सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के लिए संदेश देती थीं। बढ़ती उम्र और गिरती सेहत के कारण वे ज्यादातर समय अपने कमरे में ही गुजारती थीं। उनके घर के एक स्टाफ मेंबर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका टेस्ट कराया गया था।
8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। 92 साल की लता जी ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए, जो किसी के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक दौर था, जब लता की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं। 2000 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया था। आखिरी गाना 2015 में आई फिल्म डुन्नो वाय में था।
80 साल तक संगीत की दुनिया में सक्रिय लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था। 13 साल की छोटी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। लता जी के पिता पं. दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के बड़े नाम थे। उन्होंने ही लताजी को संगीत की शिक्षा दी थी। पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।
लता मंगेशकर को 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। इससे पहले पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान समेत कई सम्मान मिल चुके थे। कम लोग जानते हैं कि लताजी संगीतकार भी थीं और उनका अपना फिल्म प्रोडक्शन भी था, जिसके बैनर तले बनी फिल्म "लेकिन" थी। इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट गायिका का नेशनल अवॉर्ड मिला था। 61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड पाने वाली वे एकमात्र गायिका हैं। फिल्म "लेकिन" को 5 और नेशनल अवॉर्ड मिले थे। लता मंगेशकर भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज हमेशा अमर रहेगी।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर का नाता छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ी से भी जुड़ा था। 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाने वाली लता ताई ने छत्तीसगढ़ी में एकमात्र गीत गाया, जो इतिहास बन गया। इस गीत को गवाने के लिए गीतकार को उपवास तक रखना पड़ा। इससे पहले खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा था। लता जी ने 22 फरवरी 2005 को मुंबई के स्टूडियो में छत्तीसगढ़ी गीत छूट जाही अंगना अटारी.... छूटही बाबू के पिठइया की रिकॉर्डिंग की थी। शादी के बाद बेटी की विदाई पर गाए जाने वाले इस गीत की रचना मदन शर्मा ने की थी और संगीत दिया था कल्याण सेन ने।
छत्तीसगढ़ी फिल्म 'भखला' के लिए गाए इस गीत को लता जी ने छत्तीसगढ़ी बोली में ही गाया था। इससे पहले और इसके साथ तमाम किस्से जुड़ते चले गए। गीतकार मदन शर्मा ने इस गीत को गवाने के लिए लता दीदी को राजी कर लिया था। इससे पहले उन्हें तमाम पापड़ बेलने पड़े। इस बात को मदन शर्मा स्वयं स्वीकार कर चुके हैं कि लता जी को गाने के लिए राजी करना उनकी जिंदगी का सबसे मुश्किल काम रहा। इसके लिए मदन शर्मा ने नवंबर 2004 से लेकर फरवरी 2005 तक चार बार मुंबई के चक्कर लगाए। तब जाकर लता दी से गाने के लिए हां सुनने को मिला।