कोरोना के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी बीच कोरोना की मौजूदा लहर को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्यों को चेतावनी दी है। केंद्र ने कहा कि मौजूदा समय में देश में जो एक्टिव केस हैं, उनमें से 5 से 10% में ही हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत है। इसके साथ ही केंद्र ने चेताया कि हालात लगातार तेजी से बदल रहे हैं। हॉस्पिटलाइजेशन की स्थितियां भी बदल सकती हैं। ऐसे में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक्टिव केसेज पर नजर रखने की जरूरत है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भेजे पत्र में लिखा है कि देश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक्टिव केसों के 20-23% मामलों में हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत पड़ी थी, जहां तक तीसरी लहर की बात है तो इसकी रफ्तार तेज होती जा रही है। 10 दिन पहले रोजाना 10 से 15 हजार केस दर्ज किए जा रहे थे। वहीं अब रोजाना एक लाख से ऊपर केस आ रहे हैं।
ICU बेड और वेंटिलेटर सपोर्ट पर नजर रखने के निर्देश
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अभी केसेज में तेजी की वजह ओमिक्रॉन है, जिसे वैरिएंट ऑफ कंसर्न कहा जा रहा है। इसके अलावा डेल्टा के मामलों में भी तेजी बनी हुई है। देश के ज्यादातर हिस्सों में अभी डेल्टा का ही असर है। देश में अब तक ओमिक्रॉन के 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। इसके मद्देनजर केंद्र ने राज्यों से कहा है कि ऑक्सीजन बेड, ICU बेड, वेंटिलेटर सपोर्ट पर रोजाना नजर रखी जाए। कोविड केयर सेंटर्स को ऑक्सीजन सपोर्ट बेड की तर्ज पर विकसित करने की भी तैयारी रखें।
एडवाइजरी का सख्ती से पालन करने के निर्देश
जूनियर डॉक्टर्स, नर्सिंग और MBBS स्टूडेंट्स को भी तैयार रखें, ताकि पर्याप्त हेल्थकेयर स्टाफ मौजूद रहे। राजेश भूषण ने कहा कि इस मॉनिटरिंग के आधार पर रोजाना हेल्थकेयर वर्कर्स और हेल्थ फैसिलिटी का भी रिव्यू किया जाए, जैसा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान किया जाता था। उन्होंने कहा कि कोविड और नॉन कोविड फैसिलिटी में हेल्थकेयर वर्कर्स के मैनेजमेंट के लिए केंद्र की एडवाइजरी का सख्ती से पालन किया जाए। साथ ही ये भी कहा कि राज्य यह निश्चित करें कि प्राइवेट संस्थानों में बेड के लिए लिया जाने वाला चार्ज वाजिब हो। अगर कोई संस्थान बिस्तर के लिए जरूरत से ज्यादा पैसे लेता है तो इसकी मॉनिटरिंग के लिए भी एक सिस्टम होना चाहिए ताकि इनके खिलाफ एक्शन लिया जा सके।
कोरोना टेस्टिंग की नई गाइडलाइन जारी
वहीं कोविड टेस्टिंग के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कोविड टेस्टिंग को लेकर नई एडवाइजरी जारी की है। इसके मुताबिक कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए लोगों के टेस्ट की तब तक जरूरत नहीं है, जब तक वे खतरे वाली श्रेणी में न हों। जिन लोगों को कफ, बुखार, खराब गले, सांस लेने में समस्या हो या ऐसी ही तकलीफ हो, जिन्हें गंध और स्वाद में समस्या आ रही हो, उनका टेस्ट किया किया जा सकता है।
इन लोगों को टेस्टिंग की आवश्यकता नहीं
60 साल और इससे ज्यादा आयु वाले, जिन लोगों को शुगर, हाईपरटेंशन, किडनी और फेफड़ों की बीमारियां हों, उनका टेस्ट किया जा सकता है। जो लोग अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर रहे हों। भारतीय हवाई अड्डों, बंदरगाहों पर आने वाले विदेशी यात्रियों का गाइडलाइंस के मुताबिक टेस्ट किया जा सकता है। वहीं जिन लोगों में संक्रमण के किसी तरह के लक्षण नहीं हैं, उनकी टेस्टिंग की आवश्यकता नहीं।
किसी संक्रमित के कॉन्टेक्ट के टेस्ट की तब तक आवश्यकता नहीं, जब तक कि आयु या बीमारियों के आधार पर वे खतरे वाली श्रेणी में न आते हों। वो मरीज जिन्हें होम आइसोलेशन गाइडलाइंस के आधार पर डिस्चार्ज कर दिया गया हो। कोविड सेंटर में भर्ती वे मरीज जिन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया हो। जो लोग घरेलू यात्राएं, यानी एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा कर रहे हों, उनका टेस्ट भी जरूरी नहीं।
अगर किसी का टेस्ट नहीं किया गया है तो इस आधार पर सर्जरी या डिलिवरी को नहीं रोका जाएगा। अगर किसी अस्पताल में टेस्टिंग की सुविधा नहीं है तो उसे दूसरे अस्पताल में नहीं रेफर किया जाएगा। इनके सैंपल कलेक्शन और टेस्टिंग लैब में भेजे जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। ऐसे मरीज जो सर्जरी और चीरफाड़ की प्रक्रिया से गुजर रहे हों और डिलिवरी के लिए अस्पताल में भर्ती महिलाओं का टेस्ट तब तक जरूरी नहीं है, जब तक उनमें लक्षण न दिखाई दें या जब तक इसकी आवश्यकता न हो।