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इस मासिक पत्रिका को मिनटों गंभीर होकर पढ़ते रहे CM भूपेश बघेल, जानिए क्या है वजह

आनंदराम साहू 

राजिम/रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 7 जनवरी 2022 को राजिम में आयोजित 'राजिम भक्तिन माता जयंती समारोह' में पहुंचे। श्रीपुर एक्सप्रेस के संपादक आनंदराम साहू द्वारा प्रकाशित  विशेषांक 'छत्तीसगढ़ का प्रयाग-राजिमधाम' का उन्होंने विमोचन किया। विमोचन पश्चात, समारोह मंच पर 18 मिनट तक सीएम भूपेश बघेल पत्रिका को गंभीर होकर पढ़ते रहे। व्यस्ततम कार्यक्रम के बीच CM भूपेश बघेल द्वारा तन्मयता के साथ पत्रिका का अध्ययन समारोह स्थल पर खास चर्चा का विषय बना रहा। 


दरअसल, इस गहन अध्ययन के पीछे बहुत बड़ा राज है। जो यहां खास तौर पर उल्लेखनीय है। पत्रिका में रायपुर के सहायक प्राध्यापक घनाराम साहू द्वारा 25 वर्षों के अध्ययन का सारांश 'खास आलेख' प्रकाशित हुआ है। जिसमें 'राजिम के इतिहास का रहस्योद्घाटन' है। इस पत्रिका की एक प्रति cm भूपेश बघेल सहेज कर साथ ले गए। करीबी सूत्रों ने बताया कि वे हेलीकॉप्टर में बैठने के बाद भी 'श्रीपुर एक्सप्रेस' पत्रिका में राजिम के इतिहास का गहन अध्ययन कर रहे थे।

हेलीपेड से सीधा पहुंचे राजिम तेलिन मंदिर 

दरअसल हुआ यूं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल हेलीपेड से सीधा राजिम तेलिन मंदिर में महाआरती में शिरकत करने पहुंचे। जहां उन्होंने राजिम तेलिन मंदिर में सातवीं शताब्दी के सती स्तंभ के संबंध में जिज्ञासा जताई। वहां के पुजारी और मंदिर समिति के अध्यक्ष डॉ महेंद्र साहू से इसके संबंध में जानना चाहा। लेकिन, पुजारी भी विस्तृत जानकारी नहीं दे पाए। सती स्तम्भ को दो मिनट तक गौर से देखने के बाद वे राजिम लोचन भगवान का दर्शन करने गए। बाद मंदिर परिसर में कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए बनाए गए समारोह स्थल पर सीमित लोगों के प्रवेश के बीच श्रीपुर एक्सप्रेस का विमोचन हुआ। 

पत्रिका में प्रकाशित कवर स्टोरी "राजिम धाम : जानें कैसे पड़ा ये नाम?" में राजिम नामकरण की व्याख्या, तेली जाति का उद्भव और राजिम से संबंध, राजिम राज के राजा : 30 पीढ़ी की वाचिक वंशावली, राजिम और दुर्ग राज (गढ़) का आपस में संबंध, मगध के गुप्तवंशी शासक तेली, राजिम का आधुनिक इतिहास, राजिम नामकरण को लेकर मतांतर, 1860 से 1909 तक के गजट प्रकाशन में राजिम का उल्लेख, श्रीसंगम और महानदी की महिमा, तेलिन मंदिर में प्रदक्षिणापथ और उसका महत्व,  'तीन महीने के राजिम मेला' से लेकर 'राजिम (प्रकल्प) कुंभ' और अब 'माघी पुन्नी मेला' आयोजन तक के सफर आदि का खास उल्लेख है।

पत्रिका से CM की जिज्ञासा हुई शांत 

जिस सती स्तम्भ को लेकर CM भूपेश बघेल के मन में तीव्र जिज्ञासा थी। वही तस्वीर उन्हें श्रीपुर एक्सप्रेस पत्रिका के पेज 23 पर विमोचन के दौरान दिख गया। उन्होंने संपादक आनंदराम साहू से विमोचन के दौरान छत्तीसगढ़ी में कहा कि-" ये ह काय स्तम्भ आय, मैं ह मंदिर म पूछत रेहेंव?" इस सती स्तम्भ में सूर्य, अर्ध चंद्र और घानी को काला पत्थर में उकेरा गया है। पुरावेत्ता इसे सातवीं शताब्दी का सती स्तम्भ बताते हैं। काला पत्थर पर बने सती स्तम्भ राजिम के इतिहास का खास धरोहर है। 

इतिहासकार के अनुसार सूर्य सूर्यवंशी और चंद्र चंद्रवंशी शासकों का राजचिन्ह है। इसमें घानी का होना किसी 'तेली राजवंश' का संकेतक है। इस सती स्तम्भ में भक्तिन माता राजिम की भक्ति को भी प्रदर्शित किया गया है। किवदंती यह भी है कि जब भारत में सती प्रथा लागू था। राजिम माता यहीं पर सती हुईं थीं। इसलिए इसे सती स्तम्भ कहा जाता है। 

'श्रीपुर एक्सप्रेस' के विमोचन अवसर पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, गरियाबंद जिले के प्रभारी व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, महासमुंद लोकसभा सांसद चुन्नीलाल साहू, अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू, राजिम विधायक अमितेश शुक्ल, संसदीय सचिव व कसडोल विधायक शकुंतला साहू, अखिल भारतीय तैलिक महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मोतीलाल साहू, छत्तीसगढ़ तेलघानी बोर्ड के प्रथम अध्यक्ष संदीप साहू, छग दुग्ध महासंघ अध्यक्ष विपीन साहू, पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष थानेश्वर साहू, पूर्व सांसद चंदूलाल साहू, नवाचारी शिक्षकद्वय महेन्द्र पटेल और गोवर्धन साहू विशेष रूप से उपस्थित थे।

पत्रिका की प्रथम प्रति राजिम भक्तिन माता को समर्पित 

सामाजिक समारोह के प्रथम सत्र के मुख्य अतिथि महासमुंद लोकसभा सांसद चुन्नीलाल साहू और पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने पत्रिका की प्रथम प्रति राजिम तेलिन मंदिर में माता राजिम की मूर्ति के श्री चरणों पर समर्पित किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ साहू चौपाल सेवा संस्था के प्रदेशाध्यक्ष पं. घनश्याम प्रसाद साहू, प्रो घनाराम साहू, मंदिर समिति के पदाधिकारी डॉ महेंद्र साहू, श्याम साहू, गोवर्धन साहू सहित बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।



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