ताऊते और यास जैसे कई चक्रवात के बाद 'जवाद' भारत में तबाही मचाने के लिए आ रहा है। मौसम विभाग ने इसे लेकर अलर्ट जारी किया है। इस चक्रवात के कारण ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भारी बारिश की संभावना जताई गई है। हर साल आने वाले चक्रवातों के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक हर साल औसतन 72 लोगों की मौत साइक्लोन के कारण होती है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने बीते दिनों चक्रवातीय घटनाओं पर जलवायु परिवर्तन मूल्यांकन संबंधी एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 20वीं सदी के मध्य यानी 1951 से 2018 के बीच उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवात की वार्षिक आवृति में कमी आई है। वहीं बीते 2 दशकों में मानसून के बाद अति प्रचंड चक्रवाती तूफान की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
विज्ञान मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में अरब सागर में 5, बंगाल की खाड़ी में 3 चक्रवाती तूफान आए, जिनमें 6 प्रचंड तूफान की श्रेणी के थे। वहीं साल 2020 में अरब सागर में 2, बंगाल की खाड़ी में 2 और उत्तरी हिंद महसागर में एक चक्रवाती तूफान आया। इनमें से 5 प्रचंड चक्रवात की श्रेणी के थे। जून 2021 तक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में प्रचंड चक्रवात की श्रेणी के एक-एक तूफान आए।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 से लेकर अब तक बीते साढ़े 11 साल में 748 लोगों की चक्रवात के कारण मौत हुई है। इस तरह हर साल चक्रवात के कारण औसतन 72 लोगों की मौत हो रही है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय का कहना है कि चक्रवात पूर्वानुमान कौशल में सुधार होने से हाल के सालों में जनहानि में कमी आई है। इस कड़ी में एक अलर्ट ऐप भी तैयार किया जा रहा है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मिलकर एक ऐसा ऐप तैयार कर रहे हैं, जो आम लोगों और आपदा प्रबंधकों को चक्रवात से जुड़ी सूचनाएं और उससे बचाव की गतिविधियों के बारे में सटीक जानकारी पहुंचाएगा। ये वेब आधारित ऐप होगा, जो डायनेमिक कंपोजिट रिस्क एटलस पर आधारित होगा। इस मोबाइल ऐप का मकसद चक्रवात की चेतावनी से जुड़ी नवीनतम सूचनाएं उपलब्ध कराना है।