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शराब और नशे के चलते बढ़े खुदकुशी के मामले, हर घंटे हो रही एक की मौत

देश में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती ही जा रही है। साल 2020 में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और शराब की लत के चलते आत्महत्या से होने वाली मौतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नशीली दवा और शराब का सेवन करने वाले लोगों द्वारा आत्महत्या करने के 9 हजार मामले सामने आए हैं। यानी हर घंटे कम से कम एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। सिर्फ दो राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में ही ऐसे मामलों के 43 फीसदी से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं।

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि लोगों की शराब और नशीली दवाओं के कारण मानसिक स्थिति खराब हो जाती है या इससे वित्तीय संकट और पारिवारिक समस्याओं सहित अन्य कई ऐसी स्थितियां हो सकती है, जिसके कारण व्यक्ति ये रास्ता चुनता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक बीते साल नशे और शराब के आदि लोगों की आत्महत्या के मामले 7 हजार 860 थे, जिसमें 2020 में 17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

महाराष्ट्र और कर्नाटक में सबसे ज्यादा केस

साल 2019 में देशभर में 1.3 लाख से ज्यादा आत्महत्या के मामलों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग और शराब के सेवन के कारण होने वाली आत्महत्या के मामले 5.6% थे। वहीं 2020 में 1.5 लाख से ज्यादा आत्महत्याओं के मामलों में ये आंकड़ा 6% रहा। साल 2020 में शराब और नशे के सेवन के कारण दर्ज किए गए आत्महत्या के 9 हजार 169 मामलों में से 3 हजार 956 केस महाराष्ट्र और कर्नाटक से थे।

2015 से टॉप पर महाराष्ट्र 

बीते सालों के आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र 2015 से इस लिस्ट में टॉप पर है। वहीं कर्नाटक में भी मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसके कारण ये राज्य 2018 के बाद से दूसरे स्थान पर मौजूद है। इससे पहले यानी 2017 में ये राज्य इस मामले में तीसरे स्थान पर था।

ड्रग्स और शराब के कारण आत्महत्या

साल 2015 और 2020 के बीच आत्महत्या से लगभग 40 हजार मौतों के लिए ड्रग्स और शराब को जिम्मेदार ठहराया गया है। महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा 3 अन्य राज्यों, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल ने भी इन सालों में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। 2020 में ड्रग्स और शराब के सेवन के कारण दर्ज की गई आत्महत्या के मामलों में 7 हजार 356 यानी 80% से ज्यादा का हिस्सा इन राज्यों का था।

ज्यादा मात्रा में सेवन करना बन सकता है कारण

बीते 5 सालों में ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है, जिसमें 2015 में सिर्फ 3 हजार 670 मामले दर्ज किए गए हैं। 2015 में आत्महत्या के कुल मामलों में से 2.7 फीसदी केस ड्रग्स और शराब के कारण हुई आत्महत्याओं से जुड़ा था। कई मनोचिकित्सकों ने कहा कि जो मरीज उदास हैं और शराब के आदी हैं, वो आत्महत्या की कोशिश करते हैं और लंबे समय तक ज्यादा मात्रा में सेवन से एक प्रकार की मनोविकृति भी हो सकती है, जो आत्महत्या का कारण बन सकती है।

लगातार बढ़ रहे केस

महाराष्ट्र में मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है, लेकिन कर्नाटक में 2015 में केवल 94 ऐसे मामले थे, वहां अब काफी ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई है। महाराष्ट्र में वार्षिक बढ़ोतरी 7 प्रतिशत और 29 प्रतिशत की सीमा में रही है। जबकि कर्नाटक में यह काफी ज्यादा रहा है, जो कि 2015 से 2018 के बीच 30 प्रतिशत और 300 प्रतिशत के बीच रही है। ये आंकड़ों बढ़ते वक्त के साथ लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

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