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पदक विजेता रेसलर और उसके भाई की गोली मारकर हत्या, मां की हालत गंभीर

देश में हत्या की वारदात (Murder incident in india) लगातार बढ़ती ही जा रही है। ताजा मामला हरियाणा के सोनीपत का  है, जहां एक पहलवान, उसकी मां और उसके भाई को गोली मार दी गई। गोली लगने से खिलाड़ी और उनके भाई की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उनकी मां अस्पताल में भर्ती है। खिलाड़ी की मां धनपति की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिन्हें रोहतक PGI रेफर किया गया है। 

जानकारी के मुताबिक गांव हलालपुर में स्थित पहलवान सुशील कुमार रेसलिंग अकेडमी में इस वारदात को अंजाम दिया गया है। बदमाशों की फिलहाल पहचान नहीं हो पाई है। ये भी पता नहीं चल पाया है कि गोली क्यों मारी गई। खरखोदा पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। यूनिवर्सिटी लेवल पर मेडल जीतने वाली निशा दहिया हलालपुर गांव की रेसलर थी। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।

यूनिवर्सिटी विजेता की हुई है हत्या

पहले खबर आई थी कि नेशनल लेवल कुश्ती खिलाड़ी की हत्या हो गई है। हालांकि उन्होंने वीडियो जारी कर इस पर सफाई दे दी है। सोनीपत SP ने भी इसकी पुष्टि की है।  सोनीपत SP ने बताया कि निशा दहिया (मृतक) और पदक विजेता पहलवान निशा दहिया दो अलग-अलग लोग हैं। पदक विजेता पहलवान पानीपत से संबंधित हैं और वह अभी एक कार्यक्रम में हैं। जिस पहलवान निशा दहिया की हत्या हुई है, वो यूनिवर्सिटी विजेता है।

नेशनल प्लेयर निशा ने जारी किया वीडियो

नेशनल लेवल कुश्ती प्लेयर निशा ने वीडियो जारी कर बताया कि वो सही-सलामत हैं। वीडियो में निशा ने कहा कि 'मैं नेशनल खेलने के लिए गोंडा में हूं। मैं ठीक हूं। मेरी मौत की खबर फेंक है। मैं एकदम सही-सलामत हूं। इस वीडियो को रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने जारी किया है। गौरतलब है कि PM ने सुबह ही निशा को बधाई दी थी। बता दें कि 65 किलो वर्ग में निशा ने सीनियर अंडर 23 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप 2021 में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद PM मोदी ने निशा समेत अन्य खिलाड़ियों को बधाई दी थी। 

2014 में जीता था गोल्ड मेडल

बता दें कि निशा दहिया ने साल 2014 में श्रीनगर में कैडेट नेशनल चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद उन्होंने अगले साल भी यही कारनामा दोहराया। साल 2014 में उन्होंने पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। एशियन चैंपियनशिप में उन्होंने 49 किलो वर्ग में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद अगले साल उन्होंने 60 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। साल 2015 में नेशनल चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक अपने नाम किया। 

2016 में लगा था 4 साल का प्रतिबंध

कांस्य पदक जीतने के बाद मेल्डोनियम लेने के कारण वह पॉजिटिव पाई गई। ये एक ड्रग होता है, जिसे वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी ने साल 2016 में बैन कर दिया था। इसके बाद उन पर 4 साल का प्रतिबंध लगा दिया गया। मेलोडियम वहीं ड्रग है, जिसके कारण टेनिस सुपरस्टार मारिया शारापोवा के लिए मुसीबतें बढ़ गई थीं। साल 2015 में कैडेट मेडल्स और नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने के बाद उन्हें रेलवे में नौकरी मिलने वाली थी, लेकिन डोपिंग बैन के कारण वह मौका उनके हाथ से निकल गया। हालांकि साल 2019 में निशा ने कमबैक किया और अक्टूबर में यू-23 नेशनल चैंपियनशिप में उन्होंने जालंधर में 65 किलोवर्ग में गोल्ड मेडल जीता। 

इस तरह किया कमबैक

बैन की अवधि के दौरान निशा ने खेल छोड़ने के बारे में सोचा। धीरे-धीरे उनके दोस्तों ने उनका साथ छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और वापसी की। बैन के दौरान रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक ने उनका समर्थन किया। उन्होंने रोहतक में साक्षी के साथ ट्रेनिंग ली और साक्षी के साथ ही नेशनल कैंप में भी हिस्सा लिया। 

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