छत्तीसगढ़ राज्य के उद्यानिकी विभाग में केंद्र पोषित योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना संचालित है। जिसमें राज्य के 20 जिले बालोद, बलौदाबाजार, बलरामपुर, बेमेतरा, बिलासपुर, दुर्ग, गरियाबंद, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, जगदलपुर, जशपुर, कवर्धा, कोंडागांव, कोरबा, कोरिया, मुंगेली, रायगढ़, रायपुर, राजनांदगांव, सूरजपुर और सरगुजा शामिल हैं।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना के घटक पपीता क्षेत्र विस्तार से कृषकों को लाभान्वित किया जा रहा है। पपीता एक महत्वपूर्ण व्यवसायिक फसल है। पपीते का व्यवसायिक प्रवर्धन बीज द्वारा किया जाता है। कृषक पपीते के पौधों को एक बार अपने प्रक्षेत्र में एक बार लगाने के बाद 24 महीने तक फल प्राप्त कर सकते हैं। एक हेक्टेयर में रोपण के लिए लगभग 250-300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पपीते में फूल 5 महीने के आना शुरू हो जाते हैं और 8वें महीने के बाद फल लगने शुरू हो जाते हैं। 300-350
क्विंटल फल प्रति हेक्टेयर हो रहे प्राप्त
पपीता के फलों का जैम, जैली, नेक्टर, मार्मालेड, जूस, आइसक्रीम बनाने में उपयोग किया जाता है। कच्चे फलों से पपैन निकाला जाता है, जिसका उपयोग च्वींगम, कॉस्मेटिक, डेंटल पेस्ट, दवाइयां बनाने में किया जाता है। योजनांतर्गत कृषक प्रति हेक्टेयर 2777 पपीता के पौधे को रोपित कर प्रति पेड़ 40-50 फल तक उत्पादन ले रहे हैं। एक फल भार लगभग 0.5 किग्रा. से 3.0 किग्रा. तक होता है। पपीते के एक अच्छे बाग से औसतन 300-350 क्विंटल फल प्रति हेक्टेयर हर साल प्राप्त होता है।
60 से 65 हजार का फायदा
राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजनांतर्गत पपीते की खेती पर प्रति हेक्टेयर लगभग 60 हजार रूपए की लागत आती है, जिस पर 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान है। साल 2019-20 में लगभग 606 कृषकों द्वारा 846 हेक्टेयर क्षेत्र में पपीता पौध का रोपण करवाकर लाभ लिया जा चुका है। इसी तरह साल 2020-21 में भी पपीता क्षेत्र विस्तार के लिए 433 हेक्टेयर में 323 कृषकों को लाभान्वित किया गया है। साल 2021-22 में पपीता क्षेत्र विस्तार अंतर्गत 500 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। कृषक प्रति हेक्टेयर पपीते की खेती पर लगभग राशि 60 से 65 हजार रूपए राशि व्यय कर 5 से 6 लाख रूपए तक लाभ कमा सकते हैं। योजना से लाभान्वित होने के इच्छुक कृषक अपने निकटतम उप-सहायक संचालक उद्यान कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।