जापान की राजधानी टोक्यो में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। इस घटना के में 30 से अधिक लोग घायल हो गए। झटका इतना तेज था कि लोग डर के मारे घरों से बाहर निकलकर सड़कों पर आ गए। भूंकप के कारण लोगों के बीच भगदड़ जैसी स्थिति देखने को मिली। स्थानीय मीडिया ने बताया कि भूकंप के झटके ग्रेटर टोक्यो में महसूस किए गए। टोक्यो की समचार एजेंसी क्योदो के मुताबिक भूंकप में घायल तीन लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। शुरुआत में रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.1 आंकी गई थी, लेकिन बाद में इसे घटाकर 5.9 कर दिया गया।
तेज झटके के कारण वहां की इमारतें हिल गई। हालांकि जानमाल के नुकसान की फिलहाल कोई खबर नहीं है। भूकंप का केंद्र टोक्यो के पूरब में चीबा प्रांत के 80 किलोमीटर (48 मील) गहराई में बताया जा रहा है। सरकारी टेलीविजन एनएचके ने अपने दफ्तर का एक वीडियो दिखाया, जिसमें छत से लटकती सामानों को तेजी से हिलते हुए देखा जा रहा है। एनएचके की ओर से जारी सूचना के मुताबिक भूकंप के कारण शिनकानसेन सुपर एक्सप्रेस ट्रेन को अस्थायी रूप से रोक दिया गया। शिबुया और शिंजुकू जिलों से आए वीडियो में सड़कों पर कारों को और लोगों को सामान्य रूप से आवागमन करते हुए देखा गया। जापान के नए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने ट्वीट कर सतर्क रहने का अनुरोध किया है।
भूकंप आने का कारण
पृथ्वी के अंदर 7 प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। दूसरे शब्दों में कहें तो पृथ्वी कई लेयर में बंटी होती है और जमीन के नीचे कई तरह की प्लेट होती है। ये प्लेट्स आपस में फंसी रहती हैं, लेकिन कभी-कभी ये प्लेट्स खिसक जाती है, जिस वजह से भूकंप आता है।
भोगौलिक हलचल के आधार पर जोन तय
कई बार इससे ज्यादा कंपन हो जाता है और इसकी तीव्रता बढ़ जाती है। भारत में धरती के भीतर की परतों में होने वाली भोगौलिक हलचल के आधार पर कुछ जोन तय किए गए हैं और कुछ जगह यह ज्यादा होती है तो कुछ जगह कम। इन संभावनाओं के आधार पर भारत को 5 जोन बांटा गया है, जो बताता है कि भारत में कहां सबसे ज्यादा भूकंप आने का खतरा रहता है। इसमें जोन-5 में सबसे ज्यादा भूकंप आने की संभावना रहती है और 4 में उससे कम, 3 उससे कम होती है।
भूकंप की तीव्रता मापने का पैमाना
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।
भूकंप आने पर क्या करें
- आपको भूकंप के झटके जैसे ही महसूस हों, वैसे ही आप किसी मजबूत टेबल के नीचे बैठ जाएं और कस कर पकड़ लें।
- जब तक झटके जारी रहें या आप सुनिश्चित न कर लें कि आप सुरक्षित ढंग से बाहर निकल सकते हैं, तब तक एक ही जगह बैठे रहें।
- अगर आप ऊंची इमारत में रहते हैं तो खिड़की से दूर रहें।
- आप बिस्तर पर हैं तो वहीं रहें और उसे कसकर पकड़ लें। अपने सिर पर तकिया रख लें।
- आप बाहर हैं तो किसी खाली स्थान पर चले जाएं यानी बिल्डिंग, मकान, पेड़, बिजली के खंभों से दूर।