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आयोग की समझाइश पर पति अपनी गर्भवती पत्नी को साथ रखने के लिए तैयार

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक और सदस्यगण शशिकांता राठौर, अनीता रावटे,  अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति में रायपुर के शास्त्री चौक स्थित राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की गई। 

सुनवाई के दौरान प्रस्तुत प्रकरण में आवेदिका ने एक फायनेंस कंपनी द्वारा आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना का आवेदन दिया था, जिसमें सुनवाई के दौरान फायनेंस कंपनी के अनावेदक उपस्थित हुए।आवेदिका ने बताया कि उसके दिवंगत पति ने अपने व्यापार के लिए 1 करोड़ 1 लाख रूपये का लोन लिया था और उस लोन को सुरक्षित रखने के लिए निजी फायनेंस कंपनी में 1 करोड़ 1 लाख रूपये का इंश्योरेंस करवाया था, जिसमें से लोन का स्वीकृत राशि से पहले लगभग 2 लाख 72 हजार रूपये एक मुश्त इंश्योरेंस की राशि फायनेंस कंपनी द्वारा HDFC लाइफ इंश्योरेंस को दे दिया था। 

आगामी सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश

अनावेदक जो स्वयं को क्रैडिट मैनेजर के पद पर कार्य करना बताया और कंपनी के फैसले के लिए रीजनल मैनेजर, कलेक्शन मैनेजर के द्वारा इस प्रकरण पर निर्णय लेने पर जिम्मेदार बताया। HDFC लाइफ से उपस्थित अनावेदक ने बताया कि HDFC लाइफ के BHR-डिप्टी मैनेजर की उपस्थिति में ही प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। इस पर आयोग के अध्यक्ष नायक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए फायनेंस कंपनी और HDFC लाइफ के उच्च अधिकारियों को आगामी सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। 

नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश

आवेदिका ने बताया कि दोनों कंपनी वाले मिलकर धोखे से उनके मकानों की नीलामी करने जा रहे हैं, जिस पर आयोग ने दोनों कंपनियों को जमकर फटकार लगाई और नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश भी अनावेदकों को दिया है। एक अन्य प्रकरण में 87 साल की महिला को घर से उनके बेटों द्वारा बेघर करने के मामले पर आयोग की अध्यक्ष ने आगामी सुनवाई में महासमुंद थाना प्रभारी के माध्यम से अनावेदक को उपस्थित कराने के लिए निर्देश दिए। 

पत्नी को भरण-पोषण की राशि एक साथ देने के लिए तैयार

इस मामले पर अनावेदक को सूचना मिलने पर भी सुनवाई में अनुपस्थित को गंभीर लापरवाही मानते हुए आगामी सुनवाई में पुलिस के माध्यम से उपस्थित कराया जाएगा। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक भरण-पोषण की राशि 4 हजार रुपये को किश्तों में देगा।आयोग की समझाइश पर अनावेदक ने कहा कि वो हर महीने के 5 तारीख तक एकमुश्त 4 हजार रुपए देगा। इस प्रकरण की निगरानी आयोग की काउंसलर द्वारा किया जाएगा। उनके सामने भरण-पोषण राशि देंगे। इस आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।

प्लैट से जुड़े मामले पर सुनवाई

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका के पति के नाम के फ्लैट पर अनावेदिका ने कब्जा कर रखा है। जबकि अनावेदिका ने स्वयं को मृतक की पत्नी बताया है। साथ ही अनावेदिका ने यह भी जानकारी दिया कि उसके पति ने तीन शादी की है और स्वयं को तीसरी पत्नी बताई। आवेदिका का कहना है कि उन्हें पति के दो शादियों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं है। अनावेदिका ने अपने समर्थन में राशन कार्ड और अपने बेटे का जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है। पति के नाम के फ्लैट का टैक्स अनावेदिका के नाम से हैं, जो खुद टैक्स की राशि जमा कर रही है। ये प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण नस्तीबद्ध किया गया।

20 प्रकरण में 15 पर हुई सुनवाई

एक अन्य प्रकरण में आयोग की समझाइश पर पति-पत्नी साथ रहने को तैयार हुए।आयोग कार्यालय से ही पत्नी, पति के साथ उनके निवास गई। इस प्रकरण में पति अपने पत्नी को रखने के लिए टालमटोल कर रहा था, जिसे आयोग द्वारा समझाइश दिया गया कि पत्नी गर्भवती है और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी पति की होती है। इस जिम्मेदारी को नहीं निभाने की स्थिति में आवेदिका पुलिस थाना में पति के खिलाफ FIR दर्ज करा सकती है। इस पर पति अपनी पत्नी को साथ ले जाने के लिए तैयार हुआ। इस आधार पर प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया। साथ ही उन्हें निगरानी में भी रखा गया है। जन सुनवाई में 20 प्रकरण में 15 पक्षकार उपस्थित हुए और 6 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया। बाकी अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है।

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