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सीधा सादा वेश था उनका ना कोई अभिमान, खादी की एक धोती पहनें बापू की थी शान

हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इस साल उनकी 152 वीं जयंती मनाई जाएगी। इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। गांधी जी के जन्मदिवस को राष्ट्रीय पर्व की तरह मानते हुए इस दिवस पर विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में अवकाश  रहता है। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। उन्हें राष्ट्र पिता और बापू के नाम से भी संबोधित किया जाता है। 


उन्होंने कई आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन,  दांडी मार्च यात्रा,  दलित आंदोलन,  भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व किया। गांधी जी हमेशा सत्य और अहिंसा की राह पर राष्ट्र को आजादी दिलाने में अहम योगदान दिया। गांधी जी पहली बार 20 दिसंबर 1920 को मौलाना शौकत अली के साथ छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए थे। उस समय धमतरी जिले में कंडेल नहर सत्याग्रह का आंदोलन चल रहा था, जिसका का नेतृत्व पंडित सुंदरलाल शर्मा कर रहे थे। यह आंदोलन धमतरी में नहर के पानी का उपयोग करने के लिए जुर्माना लगाए जाने पर शुरू हुआ था। 

अछूतोद्धार कार्यक्रम के लिए गांधी जी का दूसरा प्रवास

21 दिसंबर को धमतरी में जनसभा को संबोधित किया। रायपुर में ब्राह्मण पारा में आनंद समाज वाचनालय में महिलाओं को संबोधित किया। नवंबर 1933 में मीरा बेन, ठक्कर बाबा, महादेव देसाई के साथ अछूतोद्धार कार्यक्रम के लिए गांधी जी का द्वितीय प्रवास रहा, लेकिन इस कार्यक्रम के पूर्व ही पंडित सुंदरलाल शर्मा के द्वारा मंदिर में प्रवेश कराकर इसकी शुरुआत कर चुके थे। गांधी जी ने पंडित सूंदर लाल शर्मा को इस कार्य के लिए अपना अग्रणी कहा था। 

गांधी मीमांशा नामक पुस्तक की रचना 

छत्तीसगढ़ के रामदयाल तिवारी ने महात्मा गांधी जी के इस यात्रा से प्रभावित होकर गांधी मीमांशा नामक पुस्तक की रचना की। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया, जो आज के आधुनिक युग में भी लोगों को प्रभावित करता है। भारतीय स्वतंत्रता के लिए किए गए अहिंसा आंदोलन से आज भी देश के राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ देशी और विदेशी युवा नेता भी प्रभावित होते हैं। इन्होंने स्वराज्य प्राप्ति, समाज से अस्पृश्यता को हटाने, सामाजिक बुराईयों को मिटाने,  किसानों के आर्थिक स्थिति को सुधारने में और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र महान कार्य किए हैं।

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