धान हमारे अंचल की प्रमुख फसल है। इसमें ब्लास्ट, शीथ ब्लाइट जीवाणु जनित झुलसा रोग का प्रकोप हो सकता है। किसान थोड़ी सावधानी बरतें तो इसके नुकसान से बचाव हो सकता है। झुलसा बीमारी में पत्ती पर नाव के आकार के धब्बे बन जाते हैं। इसके रोकथाम के लिए किसान को ट्राईसाईक्लाजोले 6 ग्राम 10 लीटर पानी के हिसाब से या कासुगामाइसिन 1 मिलीलीटर मात्रा 1 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।
दूसरी जो प्रमुख बीमारी है वह शीथ ब्लाइट, पर्णछंद या अंगमारी है, इस रोग में पत्तों पर स्लेटी रंग के धब्बे बन जाते हैं और पौधों में सड़न हो जाती है। इसकी रोकथाम के लिए वेलिडामाईसीन 1 मिली मात्रा 1 लीटर पानी के हिसाब से या ट्राइफ्लुजामाइड 1 मिली मात्र 1 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। तीसरी बीमारी है जीवाणु जनित झुलसा रोग, जिसमें पत्तियां ऊपर से नीचे की तरफ झुलस जाती हैं। इसकी रोकथाम के लिए किसान भाई पोटाश 10 किलोग्राम मात्रा 1 एकड़ के हिसाब से अतिरिक्त या 400 ग्राम मात्रा कॉपर ऑसीक्लोराईड और 37 ग्राम मात्रा स्ट्रेप्टोसाईक्लिन का छिड़काव करें।
पत्तों पर बड़े-बड़े और चौड़े भूरे रंग के धब्बे
हल्दी की पत्ती में दो तरह की बीमारी आती हैं अभी के समय में हल्दी में जो बीमारी आती है उसे कोलेटोट्राइकम पत्ती धब्बा बीमारी कहते हैं, इसमें पत्तों पर बड़े-बड़े और चौड़े भूरे रंग के धब्बे होते हैं। छोटे जो है सुई के नोक आकार की छोटी-छोटी संरचना दिखाई देती है। इसके लिए किसान भाई कार्बेडाजिम और मैनकोजेब की 1 ग्राम मात्रा 1 लीटर पानी के हिसाब से पंद्रह दिनों के अंतराल में दो बार छिड़काव करना चाहिए।
अदरक की फसल की रक्षा
अदरक की फसल में कहीं-कहीं पर किसानों के खेत में प्रकंद सड़न बीमारी दिखाई दे रही है। उसमें प्रकंद को निकाल कर फेंक दें और वहां पर कॉपर ऑक्सिक्लोराइड 3 ग्राम मात्रा 1 लीटर पानी की मात्रा के हिसाब से पौधों के पास में दें और मेटालक्सिल-मेंकोजेब 125 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के हिसाब से जड़ों में दें। धूप की अवस्था में अदरक की फसल में यूरिया प्रयोग कदापि ना करें। वर्मी कंपोस्ट को धान की फसल में तीन बार आधारीय अवस्था अधिकतम कसा अवस्था और बाली निकलने की अवस्था में दिया जा सकता है, लेकिन खेत में नमी होनी चाहिए।