राजनांदगांव कृषि विज्ञान केंद्र और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान बरौंडा रायपुर द्वारा 1 सितंबर 2021 को कृषि विज्ञान केंद्र सुरगी में फोल्ड माइक्रोस्कोप का प्रदर्शन किया गया। कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगांव के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. बीएस राजपूत, परियोजना की प्रभारी गुंजन झा (विषय वस्तु विशेषज्ञ उद्यानिकी) ने बताया कि पेपर आधारित माइक्रोस्कोप जिसे फोल्डस्कोप के नाम से जाना जाता है। जो माइक्रोस्कोप की तरह कार्य करने वाले उपकरण किसानों के लिए उपयोगी यंत्र है।
यह कागज से बनने के कारण सस्ता-हल्का और आसानी से फोल्ड हो जाने वाला होता है, जिसे किसान आसानी से जेब में रखकर खेत में जा सकते हैं। फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप का आविष्कार स्टैनफोर्ड स्कूल ऑफ मेडिसिन में बायोइंजीनियरिंग में सहायक प्रोफेसर डॉ. मनु प्रकाश और टीम द्वारा साल 2014 में किया गया था। वास्तव में यह एक तरह का आप्टिकल माइक्रोस्कोप है, यह वजन में बहुत हल्का लगभग 8 ग्राम होता है और यह एक किट में आता है। जिसमें लेंस होते हैं जो 140 गुना आवर्धन प्रदान करते हैं।
कीट-पतंगों से फसलों को होता है भारी नुकसान
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां 70 प्रतिशत आबादी की मुख्य आजीविका कृषि है। भारत में मुख्यत खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, सब्जी और फलों की खेती बहुतायत में की जाती है, लेकिन इसमें लगने वाले जीवाणु और फफुंद जनित रोगों के कारण कृषकों-उत्पादकों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है, क्योंकि इसके रोग जनकों की पहचान सटीकता से नहीं हो पाती। भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा इस पर निरंतर शोध जारी है और अध्ययन में फोल्डस्कोप नामक इस बेहद सस्ते माइक्रोस्कोप को बहुत ही कारगर पाया गया। शोधकर्ताओं का दावा है कि इसके माध्यम से प्रक्षेत्र स्तर पर ही फसलों में लगने वाले बहुत से रोगों की पहचान आसानी से किया जा सकती है। साथ ही रोग नियंत्रण के त्वरित और सरलता से समाधान भी प्राप्त किया जा सकता है।
सरल घटकों जैसे कागज की शीट
वास्तव में यह एक तरह का वहनीय माइक्रोस्कोप है, जो पेपर क्लिपिंग की एक श्रृंखला से बनाया जाता है। इसे बनाने में बहुत ही सरल घटकों जैसे कागज की शीट, लेंस, गोंद, टेप, चुंबकीय युग्मक (कपलर) और एलईडी मैग्नीफायर से बनाया जाता है। इसके मुख्यत चार घटक लेंस स्टेज, सैंपल स्टेज, पेनिंग गाइड और फोकस रेंप होते हैं। फोल्डस्कोप में किसी नमूने की चित्र प्राप्त करने के लिए मोबाइल फोन का उपयोग किया जाता है।
कीट पतंगों का सुलभता से परीक्षण
मोबाइल फोन के कैमरे मे चुंबकीय युग्मक को गोंद या टेप के माध्यम से संलग्न करके फोल्डस्कोप पर स्थापित किया जा सकता है। फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप को आसानी से मोड़ा जा सकता है। यह आकार में छोटा और वजन मे बहुत हल्का (लगभग 8 से 10 ग्राम) होता है। जिसके कारण आसानी से इसे पाकेट में रखकर कहीं भी ले जाना संभव है। फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप में लेंस स्थापित किया जाता है। जिसके माध्यम से किसी रोगजनक या नमूने को 140 गुना तक आवर्धित करने की क्षमता होती है। फलस्वरूप नग्न आंखों से दिखाई नहीं देने वाले सूक्ष्म से अति सूक्ष्म पादप रोगजनकों (फफूंद-जीवाणु) और कीट पतंगों को बहुत सुलभता से परीक्षण कर सकते हैं।
फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप का महत्व
यह आकार में बहुत छोटा और वजन में हल्का होता है। यह पारंपरिक सूक्ष्मदर्शी के समान प्रदर्शन करता है। यह बहुत टिकाऊ है क्योंकि बहुत ऊंचाई से गिरने के बावजूद भी नहीं टूटता है। इसका प्रयोग मुख्यत प्रक्षेत्र स्तर पर प्राथमिक निदान के लिए किया जाता है। फोल्डस्कोप का प्रयोग पादप रोगजनक के कारक और सूक्ष्मकीटों का अवलोकन करने में भी किया जा सकता है। इसके माध्यम से सूक्ष्म कीटों का भी अवलोकन किया जा सकता है। पशुपालन के अंतर्गत जानवरों में लगने वाले सूक्ष्म जीवों का पता लगाने में भी प्रयोग किया जा सकता है। इसको बनाने की लागत लगभग 100 रूपए से भी कम है।
कार्यक्रम में ये रहे मौजूद
इस फोल्डस्कोप माइक्रोस्कोप प्रदर्शन के अवसर पर अधिष्ठाता पंडित शिव कुमार कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान राजनांदगांव डॉ. आरएन सिंह, सरपंच ग्राम पंचायत सुरगी आनन्द साहू, कृषि विज्ञान केन्द्र के उद्यानिकी वैज्ञानिक गुंजन झा, विषय वस्तु विशेषज्ञ एलपीएम डॉ. नूतन रामटेके, विषय वस्तु विशेषज्ञ मृदा विज्ञान अंजली घृतलहरे, विषय वस्तु विशेषज्ञ FMPE अतुल डांगे, विषय वस्तु विशेषज्ञ कीट विज्ञान डॉ. मोहनिशा जंघेल, विषय वस्तु विशेषज्ञ कृषि मौसम विज्ञान सुरभि जैन, प्रक्षेत्र प्रबंधक आशीष गौरव शुक्ला, कार्यक्रम सहायक जितेन्द्र मेश्राम, तोरन लाल निषाद सहित प्रगतिशील कृषक बिदेशी राम निषाद, योगु राम साहू, संत राम साहू और अन्य किसान सहित कर्मचारी उपस्थित थे।