देश में पुलिसकर्मियों और जवानों की आत्महत्या करने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों से पुलिसकर्मियों और जवानों के खुदकुशी की घटनाएं लगातार सामने आ रही है। हालांकि कई ऐसे भी कारण है, जिसकी वजह से जवानों की मौत हो रही है। इसमें सबसे ऊपर छत्तीसगढ़ का नाम है, जहां सबसे ज्यादा जवानों की किसी-न-किसी कारण से मौत हुई है।
फाइल फोटो |
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के मुताबिक सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, शस्त्र सीमा बल, आसाम राइफल्स और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड में 1 जनवरी 2019 तक करीब 9 लाख 23 हजार 800 जवान-अफसर तैनात थे। इन केंद्रीय सुरक्षा बलों में एक साल के अंदर यानी साल 2019 में 104 जवानों की मौत हुई थी। इन सुरक्षा बलों की मौत के आंकड़े जुटाने के लिए NCRB ने दो श्रेणी बनाई थीं। पहली श्रेणी में हादसों में हुई मौत और दूसरी श्रेणी में आत्महत्या संबंधी मौतों के आंकड़ों को शामिल किया गया था।
अलग-अलग कारणों से 104 जवानों की मौत
सभी संबंधित आंकड़ों को जुटाने के बाद साल 2019 में दो श्रेणियों में मारे गए अर्धसैनिक बलों की मौत की कुल संख्या 104 निकल कर सामने आई। इनमें जब मौत के आंकड़ों को श्रेणीवार अलग किया गया तो पता चला कि इन 104 सुरक्षाबलों में सबसे ज्यादा मरने वालों की संख्या 62 यानी कुल मौतों का 59.6 फीसदी सिर्फ अन्य कारणों से मौत की श्रेणी में दर्ज की गई।
रेल और सड़क हादसों में मौत
इसी तरह दूसरे नंबर पर रेल और सड़क हादसों में मौत हुई। इस श्रेणी में एक साल में 24 जवानों की मौत हुई थी।जो कि एक साल में हुई जवानों की कुल मौत यानी 104 का 23.1 फीसदी रहा। जबकि साल 2019 में कार्रवाई-संचालन-मुठभेड़ में मरने वाले जवानों की संख्या 14 रही। जो कि उस साल हुई कुल मौत का 13.5 फीसदी रहा था।
पारिवारिक कारणों से हुई 14 जवानों की मौत
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक इस एक साल की अवधि में जो 104 जवानों की मौत हुई, उनमें से 8 की मौत के कारणों का कभी पता ही नहीं लग सका। NCRB के मुताबिक 14 जवानों की मौत उनके पारिवारिक कारणों के चलते हुईं थीं। जबकि एक जवान की मौत समाज में उसकी छबि खराब होने के चलते हुई थी। इसी तरह शादी से संबंधित किसी मुद्दे को लेकर एक जवान की मृत्यु हो गई। इस अवधि में 3 अर्धसैनिक बल जवानों की मौत नौकरी से संबंधित कारणों के चलते हुई थी। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के द्वारा एकत्रित 2019 के आंकड़ों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली संख्या है सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज के 36 जवानों के द्वारा आत्महत्या कर लिया जाना था।
14 जवान हुए आत्महत्या के शिकार
इन 36 जवानों की मौत के पीछे वजह अलग अलग रही। इस श्रेणी की मौत के आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि 36 में से 14 जवान यानी 38.9 फीसदी पारिवारिक विवादों-समस्याओं के चलते आत्महत्या के शिकार बने थे। जबकि 3 जवानों ने नौकरी संबंधी परेशानियों के चलते आत्महत्या जैसा घातक रास्ता अपनाया था। एक साल में 36 केंद्रीय अर्धसैनिक बल के जवानों द्वारा आत्महत्या किए जाने के मामलों की तह तक जाने पर और भी जानकारी निकल कर सामने आई है।
सबसे ज्यादा छत्तीसगढ़ में जवानों की मौत
साल 2019 में ऐसे बलों के जवानों द्वारा आत्महत्या करने की संख्या तमिलनाडु में 4 रही। अरूणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, नागालैण्ड, त्रिपुरा, दिल्ली में 3-3 जवानों ने आत्महत्या की। इस श्रेणी में मरने वाले पैरा-मिलिट्री फोर्सेज के सबसे ज्यादा जवानों की संख्या साल 2019 में, राजस्थान में 5 रही थी। हालांकि इन 5 में से 4 जवानों ने पारिवारिक परेशानियों के चलते आत्महत्या का रास्ता चुना था।
छत्तीसगढ़ में 57.1 फीसदी जवानों की मौत
NCRB के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स के जिन 14 जवानों की मौत मुठभेड़ों के दौरान हुई, उनमें सबसे ज्यादा शहीद होने वाले जवानों का अनुपात पूरे देश में छत्तीसगढ़ यानी 57.1 फीसदी इलाके में रहा। जबकि जम्मू-कश्मीर घाटी में इस श्रेणी में शहीद होने वाले जवानों की संख्या-6 यानी 42.9 फीसदी रही। इन आंकड़ों को इकट्ठा करने वाले साल के दौरान अन्य कारणों से मौत की श्रेणी में होने वाली 62 में से 10 मौत सिर्फ राजस्थान राज्य में ही दर्ज की गईं थीं। जबकि 16 मौत इस श्रेणी में जम्मू कश्मीर राज्य से होने के आंकड़े जुटाए गए।
तनाव की वजह से सुसाइड
बता दें कि जवानों के आत्महत्या करने के ज्यादातर मामलों में तनाव की वजह से सुसाइड करने की वजह सामने आ रही हैं। डिप्रेशन (depression) में आकर जवान लगातार सुसाइड जैसे खतरनाक कदम उठा रहे हैं और अपनी जान दे रहे हैं।