छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले सांप के डसने से दो सगी बहनों की मौत हो गई है। मामला वाड्रफनगर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत शारदापुर का है, जहां जगतपति की 17 साल की बेटी मुन्नी और 15 साल की बेटी शिव कुमारी खाना खाकर सो रही थी। वहीं सुबह करीब 5:00 बजे उठे और परिजन को कुछ काटने की जानकारी दी।
वहीं काटने के निशान को देखकर परिजन समझ गए कि दोनों को सांप ने डसा है, जिन्हें तत्काल वाड्रफनगर सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां इलाज के दौरान दोनों बहनों ने दम तोड़ दिया। वाड्रफनगर पुलिस ने मर्ग कायम कर शव को परिजनों को सौंप दिया है। बताया जा रहा है कि सही समय पर पता नहीं चलने पर इलाज में देरी हुई। इसलिए दोनों को बचाया नहीं जा सका।
मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी
वहीं जशपुर जिले में भी सर्पदंश से मौतों का सिलसिला जारी है। हर साल बरसात के मौसम में सर्पदंश की घटनाओं में कई लोगों की जान चली जाती है। इस वर्ष अबतक 27 लोग सांप काटने की वजह से काल के गाल में समा चुके हैं। पुलिस विभाग की आंकड़े पर गौर करें तो बीते 22 सालों में रेंगती मौत ने 872 परिवारों पर कहर ढाया है। शुक्रवार की सुबह सर्पदंश के दो मरीजों की मौत पत्थलगांव के सिविल अस्पताल में हो गई।
सांप के डसने से महिला की मौत
जानकारी के मुताबिक पत्थलगांव थानाक्षेत्र के बंधनपुर बागबहार निवासी बासमती तिर्की पति दुलार तिर्की को गुरूवार-शुक्रवार की रात को करैत सांप ने काट लिया था। महिला अपने घर पर जमीन पर गद्दा बिछाकर सोई हुई थी। सांप काटने के बाद उसकी नींद खुली। महिला ने देखा तो उसके पास ही जहरीला करैंत सांप था। महिला ने परिवार वालों को जगाया और कुछ ही देर में उसकी तबियत बिगड़ने लगी। परिवार वाले महिला को मारूती वैन में लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। जहां भर्ती कर उसका इलाज शुरू किया गया। महिला को एंटी स्नेक वेनम का डोज दिया गया पर अस्पताल पहुंचने से पहले ही सांप का जहर उसके पूरे शरीर में फैल चुका था। जिससे उसकी जान नहीं बचाई सकी। दूसरी घटना ग्राम अलोला की है।
जमीन पर सोने से ज्यादा खतरा
अलोला निवासी संतोषी मालाकार को भी शुक्रवार की तड़के सांप ने डस लिया है। सुबह 4 बजे जब संतोषी की नींद खुली तो उसके सीने में तेज चुभन भरा दर्द हो रहा था। उसने आसपास देखा तो एक करैंत से दरवाजे की ओर जा रहा था। संतोषी के सीने में सांप के डसने के निशान थे। घटना के बाद संतोषी के परिवार वाले भी उसे लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे। पर उसकी जान भी नहीं बच सकी। पुलिस के मुताबिक दोनों ही घटनाओं में घटना की मुख्य वजह जमीन पर सोना पाया गया है।
हर साल बढ़ रहे आंकड़े
सर्पदंश से हर साल होने वाली मौतों पर गौर करें तो बीते 14 सालों से मौत के आंकड़े लगभग एक जैसे हैं। वर्ष 2007 से पहले जिले में हर साल सर्पदशं से 60 से ज्यादा मौतें होती थीं। इनमें कमी आई और वर्ष 2007 के बाद यह आंकड़ा 50 से कम हो गया। पर इसके बाद से मौतों की संख्या में कोई कमी नहीं है। वर्ष 2008 से अबतक हर साल मौतों का औसत 40 है। हर साल 40 से 50 मौतें हो रही हैं। सर्पदंश से मौतों को कम करने के लिए स्वास्थ्य अमले के पास एंटी स्नेक वैनम का डोज है। पर यह दवा भी उन्हीं मरीजों को काम आती है जो समय पर अस्पताल पहुंच जाएं। स्वास्थ्य विभाग जागरूकता अभियान में जमीन पर ना सोने, अंधेरे में बाहर ना निकलने, घांस व झाड़ियों में सावधानी बरतन की सलाह देता है। पर इस जागरूकता असर का कोई खास असर नहीं दिखाई पड़ रहा है।
हर दस मिनट में एक व्यक्ति की मौत
देश भर में करीब तीन लाख लोग हर साल सांप के काटने का शिकार होते हैं। हर दस मिनट में एक व्यक्ति की मौत इसके चलते हो रही है। स्वास्थ्य पर तमाम बड़े वादों और मिशन मोड़ वाले कार्यक्रमों के इतर सर्पदंश का यह जानलेवा सिलसिला पिछले 20 सालों से जारी है। पूरी दुनिया में हर साल करीब सवा लाख लोग सांप के जहरीले दंश से मारे जाते हैं, जिनमें से लगभग आधे भारतीय होते हैं।