कोरोना अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। वहीं समय के साथ ही कोरोना भी अपना रूप बदल रहा है। अब तक कोरोना के डेल्टा, डेल्टा + और अल्फा जैसे कई वैरिएंट सामने आ गए हैं। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘म्यू’ को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी पर अपने साप्ताहिक बुलेटिन में कहा कि ‘म्यू’ को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह वैरिएंट कई म्यूटेशन का जोड़ है, जो टीके से बनी प्रतिरक्षा से बचने में कारगर है। इसका मतलब है कि इसके म्यूटेशन कोरोना के खिलाफ टीका लगवाने के बाद भी शरीर पर अटैक कर सकते हैं। संगठन ने कहा कि यह वैरिएंट अपना रूप बदल रहा है। इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए आगे अध्ययन की जरूरत है।
WHO ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘म्यू’ पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह कई म्यूटेशन का जोड़ है। इस पर टीका बेअसर हो सकता है। यह वैरिएंट जनवरी, 2021 में पहली बार कोलंबिया में मिला था। इसका वैज्ञानिक नाम बी.1621 है। WHO इस पर नजर बनाए हुए हैं। बुलेटिन के मुताबिक कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ‘म्यू’ वैरिएंट की वैश्विक व्यापकता में गिरावट आई है। वर्तमान में यह 0.1 फीसदी से भी कम है। यानी वैश्विक स्तर पर इसके प्रसार की रफ्तार उतनी नहीं है। हालांकि, कोलंबिया (39 फीसदी) और इक्वाडोर (13 फीसदी) में प्रसार बढ़ रहा है। अन्य देशों में भी छिटपुट मामले सामने आए हैं। यूरोप और दक्षिण अमेरिका में गंभीर असर देखने को मिला है। ब्रिटेन, अमेरिका और हांगकांग में भी ‘म्यू’ के मामले सामने आए हैं।
देश में नहीं मिला ये वैरिएंट
अच्छी बात यह है कि कोरोना का म्यू वैरिएंट अब तक भारत में नहीं मिला है। इसके अलावा एक और म्यूटेशन सी.1.2 का कोई केस भी देश में नहीं आया है। भारत में वायरस के 232 से अधिक म्यूटेशन सामने आ चुके हैं। नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के डॉ. विनोद स्कारिया के मुताबिक म्यू (बी.1.621 और बी. 1.621.1) का एक भी मामला भारत में अब तक दर्ज नहीं हुआ है। देशभर में जीनोम सीक्वेंसिंग की निगरानी क रहे वैज्ञानिकों में से एक डॉ. स्कारिया ने कहा, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने म्यू वैरिएंट को गंभीर बताया है। अब तक मिले साक्ष्यों से पता चलता है कि इस नए वैरिएंट में आनुवाशिंक परिवर्तन होते हैं। सामुदायिक प्रसार की क्षमता के कारण डेल्टा वैरिएंट की तरह ही यह आक्रामक हो सकते हैं।
निगरानी सूची में 5वां वैरिएंट
इस साल मार्च के बाद से म्यू पांचवां ऐसा स्वरूप है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की निगरानी सूची में डाला गया है। 39 देशों में इसका पता चलने के बाद 30 अगस्त को इसे डब्ल्यूएचओ की निगरानी सूची में रखा गया है। इनमें अल्फा और डेल्टा वैरिएंट शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के बुलेटिन में कहा गया है कि इस नए वायरस म्यूटेशन के उभरने से व्यापक चिंता बनी है। इसकी प्रमुख वजह वैश्वक स्तर पर संक्रमण दर का फिर से बढ़ना है। विशेषज्ञों ने नए वैरिएंट का प्रसार रोकने के लिए लगातार निगरानी का सलाह दी है। वहीं संभावित तीसरी लहर के आने से पहले कोरोना का डेल्टा+ वैरिएंट कहर बरपा रहा है।
क्या है डेल्टा+ वैरिएंट
यह कोरोना का अति संक्रामक वैरिएंट 'डेल्टा' से उत्परिवर्तित होकर 'डेल्टा+' या ‘AY1’ बन गया है। डेल्टा+ प्रकार, वायरस के डेल्टा या ‘बी1.617.2’ प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है, जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। डेल्टा प्लस उस 'मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल' उपचार का रोधी है, जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है।