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कोरोना के एक और नए वैरिएंट की पहचान, डेल्टा जैसा खतरनाक और ओमिक्रॉन की तरह बहुत ज्यादा तेजी से फैलता है संक्रमण

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कोरोना समय के साथ अपना रूप बदल रहा है। अब तक कोरोना के डेल्टा, डेल्टा + और अल्फा जैसे कई वैरिएंट सामने आ चुके हैं। वहीं वर्तमान में ओमिक्रॉन वैरिएंट दुनियाभर में कहर बरपा रहा है। इसी बीच एक और खतरनाक वैरिएंट सामने आया है। साइप्रस के वैज्ञानिकों का दावा है कि उनके देश में डेल्टा और ओमिक्रॉन वैरिएंट से मिलकर बना कोरोना का एक नया स्ट्रेन पाया गया है। ओमिक्रॉन की वजह से जनवरी के पहले हफ्ते में दुनिया में कोरोना के रिकॉर्ड केस दर्ज किए गए हैं। ऐसे में एक और नए स्ट्रेन ने कोरोना को लेकर दुनिया की चिंता और बढ़ा दी है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक नया स्ट्रेन में डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों वैरिएंट के लक्षण हैं। कोरोना का नया स्ट्रेन साइप्रस में पाया गया है, जिसे यूनिवर्सिटी ऑफ साइप्रस के वैज्ञानिकों ने 'डेल्टाक्रॉन' नाम दिया है। कोरोना के नए स्ट्रेन डेल्टाक्रॉन की खोज यूनिवर्सिटी ऑफ साइप्रस के लैबोरेटरी ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मॉलिक्यूलर वायरोलॉजी के हेड और बायोलॉजिकल साइंसेज के प्रोफेसर लियोनडिओस कोस्त्रिकिस के नेतृत्व वाली टीम ने की है।

दोनों का कॉम्बिनेशन है डेल्टाक्रॉन

डेल्ट्राक्रॉन को लेकर प्रोफेसर कोस्त्रिकिस ने कहा कि 'ये ओमिक्रॉन और डेल्टा का को-इन्फेक्शन है और उन्होंने जो स्ट्रेन पाया है उसमें इन दोनों का कॉम्बिनेशन है। इस खोज को डेल्टाक्रॉन नाम दिया गया है, क्योंकि डेल्टा जीनोम के अंदर ओमिक्रॉन जैसे जेनेटिक लक्षण मिले हैं।' वैज्ञानिकों के मुताबिक साइप्रस में अब तक 25 लोगों में कोरोना का नया वैरिएंट डेल्टाक्रॉन पाया गया है।

25 लोगों में नए वैरिएंट की पहचान

प्रोफेसर कोस्त्रिकिस के मुताबिक साइप्रस में जिन 25 लोगों में नया वैरिएंट पाया गया है, उनमें से 11 लोग कोरोना पॉजिटिव होने के बाद हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे। जबकि बाकी के 14 लोग ऐसे थो जो कोविड पॉजिटिव थे, लेकिन हॉस्पिटल में भर्ती नहीं थे। यानी इस नए कोरोना स्ट्रेन से इन्फेक्शन का खतरा हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले लोगों को ज्यादा है। कोरोना का डेल्टाक्रॉन वैरिएंट ऐसे समय में पाया गया है जब ओमिक्रॉन की वजह से दुनिया भर में कोरोना केसेज बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे समय में एक नया कोरोना स्ट्रेन निश्चित तौर पर एक नई आफत जैसा है।

इस नए वैरिएंट को लेकर स्टडी अभी शुरुआती दौर में हैं। साइप्रस ने 7 जनवरी को ही जिन 25 सैंपल में डेल्टाक्रॉन पाए गए थे, उन्हें जांच के लिए GISAID के पास भेजा है। GISAID इंफ्लूएंजा और कोरोना में परिवर्तन को ट्रैक करने वाला इंटरनेशनल डेटाबेस है। साइप्रस के प्रोफेसर कोस्त्रिकिस ने डेल्टाक्रॉन से खतरे को लेकर कहा है कि हमें भविष्य में पता चलेगा कि क्या ये स्ट्रेन अधिक बीमारी पैदा करने वाला है या ज्यादा संक्रामक है या क्या ये डेल्टा और ओमिक्रॉन से ज्यादा प्रभावी होगा।

डेल्टाक्रॉन को पर WHO का कोई आधिकारिक बयान नहीं

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन कोरोना के हर नए वैरिएंट्स पर नजर रखता है और उसकी गंभीरता के हिसाब से उसकी श्रेणी निर्धारित करता है। जैसे डेल्टा और ओमिक्रॉन को WHO ने 'वैरिएंट ऑफ कंसर्न' घोषित किया है। यानी ये दोनों वैरिएंट चिंताजनक श्रेणी में हैं, लेकिन साइप्रस में पाए गए डेल्टाक्रॉन पर WHO ने अब तक कुछ नहीं कहा है। यानी साइप्रस के रिसर्चर्स जिसे डेल्टाक्रॉन स्ट्रेन कह रहे हैं, उसे लेकर अभी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

डेल्टाक्रॉन 'लैब में हुई तकनीकी गलती': टॉम पीकॉक

वहीं कुछ विशेषज्ञों ने साइप्रस के वैज्ञानिकों के डेल्टाक्रॉन वैरिएंट की खोज के दावे पर सवाल उठाए हैं। लंदन स्थित इंपीरियल कॉलेज के वायरोलॉजिस्ट टॉम पीकॉक ने कहा है कि डेल्टाक्रॉन 'लैब में हुई तकनीकी गलती' है न कि एक नया स्ट्रेन। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन अब तक इतनी बड़ी आबादी में नहीं फैल पाया है कि सच में किसी और वैरिएंट से मिलकर नए वैरिएंट का निर्माण कर सके। उन्होंने कहा कि ओमिक्रॉन को फैले कुछ ही हफ्ते हुए हैं ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि वह किसी और वैरिएंट के कॉम्बिनेशन से मिलकर नया वैरिएंट बना सके।

डेल्टाक्रॉन के जेनेटिक गुण

इधर, डेल्टाक्रॉन की खोज करने वाली टीम के प्रमुख साइप्रस के प्रोफेसर लियोनडिओस कोस्त्रिकिस ने डेल्टाक्रॉन को 'लैब एरर' बताने के दावे को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि डेल्टाक्रॉन के सैंपल्स की एक से ज्यादा देशों में जीनोम सीक्वेसिंग की गई है और ग्लोबल डेटाबेस में इजराइल से जमा किए गए कम से कम एक सीक्वेंसें में डेल्टाक्रॉन के जेनेटिक गुण नजर आए थे।

फ्रांस में मिला था IHU वैरिएंट 

बता दें कि 29 दिसंबर 2021 को फ्रांस में एक नए स्ट्रेन IHU पाए जाने की बात कही गई। फ्रेंच रिसर्चर्स के मुताबिक नवंबर 2021 में IHU का पहला केस पाया गया था। फ्रांस में इस स्ट्रेन के कुल 12 केस पाए जा चुके हैं। IHU कोरोना वैरिएंट B.1.640 का सब-लीनेज है, जिसे सब-लीनेज B.1.640.2 के रूप में क्लासिफाई किया गया है। IHU में हालांकि 46 म्यूटेशन होने का दावा किया गया है, लेकिन फ्रांस के अलावा दुनिया में इसका केस कहीं और नहीं मिला है। 25 दिसंबर 2021 के बाद से IHU का कोई नया केस सामने नहीं आया है।

'डेल्मिक्रॉन कोरोना का नया वैरिएंट नहीं'

IHU को WHO ने वैरिएंट की किसी कैटेगरी में नहीं डाला है, हालांकि उसने कहा है कि ये उसके रडार पर है और उस पर नजर बनाए हुए हैं। हाल ही में ओमिक्रॉन और डेल्टा से मिलकर बने डेल्मिक्रॉन स्ट्रेन की भी आशंका कुछ एक्सपर्ट जता चुके हैं। दरअसल, डेल्मिक्रॉन कोरोना का नया वैरिएंट नहीं है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट और ओमिक्रॉन वैरिएंट मिलकर एक 'सुपर स्ट्रेन' बना रहे हैं, जिसे डेल्मिक्रॉन कहा जा रहा है।

दुनियाभर में कहर बरपा रहा ओमिक्रॉन 

एक ही व्यक्ति में डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों के संक्रमण से पैदा होने वाली स्थिति को ही डेल्मिक्रॉन कहा जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के डेल्टा और ओमिक्रॉन दोनों ही वैरिएंट से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा रहता है। ऐसे ही लोगों के अंदर डेल्टा और ओमिक्रॉन के वायरस मिलकर नया सुपर स्ट्रेन डेल्मिक्रॉन बना रहे हैं। फिलहाल दुनियाभर में ओमिक्रॉन वैरिएंट कहर बरपा रहा है।

सावधान : कोरोना के 'म्यू' वैरिएंट ने बढ़ाई चिंता, 'म्यू' पर बेअसर हो सकती है वैक्सीन, WHO ने दी चेतावनी

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कोरोना अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। वहीं समय के साथ ही कोरोना भी अपना रूप बदल रहा है। अब तक कोरोना के डेल्टा, डेल्टा + और अल्फा जैसे कई वैरिएंट सामने आ गए हैं। इसी बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘म्यू’ को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी पर अपने साप्ताहिक बुलेटिन में कहा कि ‘म्यू’ को ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह वैरिएंट कई म्यूटेशन का जोड़ है, जो टीके से बनी प्रतिरक्षा से बचने में कारगर है। इसका मतलब है कि इसके म्यूटेशन कोरोना के खिलाफ टीका लगवाने के बाद भी शरीर पर अटैक कर सकते हैं। संगठन ने कहा कि यह वैरिएंट अपना रूप बदल रहा है। इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए आगे अध्ययन की जरूरत है।


WHO ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ‘म्यू’ पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह कई म्यूटेशन का जोड़ है। इस पर टीका बेअसर हो सकता है। यह वैरिएंट जनवरी, 2021 में पहली बार कोलंबिया में मिला था। इसका वैज्ञानिक नाम बी.1621 है। WHO इस पर नजर बनाए हुए हैं। बुलेटिन के मुताबिक कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच ‘म्यू’ वैरिएंट की वैश्विक व्यापकता में गिरावट आई है। वर्तमान में यह 0.1 फीसदी से भी कम है। यानी वैश्विक स्तर पर इसके प्रसार की रफ्तार उतनी नहीं है। हालांकि, कोलंबिया (39 फीसदी) और इक्वाडोर (13 फीसदी) में प्रसार बढ़ रहा है। अन्य देशों में भी छिटपुट मामले सामने आए हैं। यूरोप और दक्षिण अमेरिका में गंभीर असर देखने को मिला है। ब्रिटेन, अमेरिका और हांगकांग में भी ‘म्यू’ के मामले सामने आए हैं।

देश में नहीं मिला ये वैरिएंट

अच्छी बात यह है कि कोरोना का म्यू वैरिएंट अब तक भारत में नहीं मिला है। इसके अलावा एक और म्यूटेशन सी.1.2 का कोई केस भी देश में नहीं आया है। भारत में वायरस के 232 से अधिक म्यूटेशन सामने आ चुके हैं। नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी के डॉ. विनोद स्कारिया के मुताबिक म्यू (बी.1.621 और बी. 1.621.1) का एक भी मामला भारत में अब तक दर्ज नहीं हुआ है। देशभर में जीनोम सीक्वेंसिंग की निगरानी क रहे वैज्ञानिकों में से एक डॉ. स्कारिया ने कहा, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने म्यू वैरिएंट को गंभीर बताया है। अब तक मिले साक्ष्यों से पता चलता है कि इस नए वैरिएंट में आनुवाशिंक परिवर्तन होते हैं। सामुदायिक प्रसार की क्षमता के कारण डेल्टा वैरिएंट की तरह ही यह आक्रामक हो सकते हैं।

निगरानी सूची में 5वां वैरिएंट

इस साल मार्च के बाद से म्यू पांचवां ऐसा स्वरूप है, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की निगरानी सूची में डाला गया है। 39 देशों में इसका पता चलने के बाद 30 अगस्त को इसे डब्ल्यूएचओ की निगरानी सूची में रखा गया है। इनमें अल्फा और डेल्टा वैरिएंट शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के बुलेटिन में कहा गया है कि इस नए वायरस म्यूटेशन के उभरने से व्यापक चिंता बनी है। इसकी प्रमुख वजह वैश्वक स्तर पर संक्रमण दर का फिर से बढ़ना है। विशेषज्ञों ने नए वैरिएंट का प्रसार रोकने के लिए लगातार निगरानी का सलाह दी है। वहीं संभावित तीसरी लहर के आने से पहले कोरोना का डेल्टा+ वैरिएंट कहर बरपा रहा है।

क्या है डेल्टा+ वैरिएंट

यह कोरोना का अति संक्रामक वैरिएंट 'डेल्टा' से उत्परिवर्तित होकर 'डेल्टा+' या ‘AY1’ बन गया है। डेल्टा+ प्रकार, वायरस के डेल्टा या ‘बी1.617.2’ प्रकार में उत्परिवर्तन होने से बना है, जिसकी पहचान पहली बार भारत में हुई थी और यह महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था। डेल्टा प्लस उस 'मोनोक्लोनल एंटीबाडी कॉकटेल' उपचार का रोधी है, जिसे हाल ही में भारत में स्वीकृति मिली है। 

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